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वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा- नारेबाजी और लोकलुभावन वादों से आर्थिक नीतियों को दिशा नहीं दी जा सकती

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को आर्थिक नीतियों पर चर्चा को ठोस तथ्यों और आंकड़ों के आधार पर करने पर जोर देते हुये कहा कि नारेबाजी और लोकलुभावन वादों से आर्थिक नीतियों को दिशा नहीं दी जा सकती है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: November 16, 2018 22:29 IST
Arun Jaitley- India TV Hindi
Arun Jaitley

मुंबई: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को आर्थिक नीतियों पर चर्चा को ठोस तथ्यों और आंकड़ों के आधार पर करने पर जोर देते हुये कहा कि नारेबाजी और लोकलुभावन वादों से आर्थिक नीतियों को दिशा नहीं दी जा सकती है। वित्त मंत्री ने कहा कि आर्थिक क्षेत्र की चर्चा और नीतियों को केवल नारों और लोकलुभावन वादों से निर्देशित नहीं किया जा सकता। यह चर्चा आंकड़ों के विश्लेषण के साथ ठोस तथ्यों और आकलन पर आधारित होनी चाहिये। जेटली वीडियो लिंक के जरिये एक पुरस्कार सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। 

जेटली की ओर से यह टिप्पणी रिजर्व बैंक के केन्द्रीय निदेशक मंडल की अहम बैठक से दो दिन पहले की गई है। कुछ नीतियों को लेकर सरकार और रिजर्व बैंक के बीच तनाव की स्थिति बनी हुई है। सरकार और रिजर्व बैंक बोर्ड में उसके प्रतिनिधि चाहते हैं कि रिजर्व बैंक छोटे उद्यमियों की परेशानी पर ध्यान दे, त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) के तहत आये बैंकों की शर्त को उदार बनाये तथा परेशानी से जूझ रहे गैर बैंकिंग संस्थानों को राहत पहुंचाये। समझा जाता है कि रिजर्व बैंक इसका विरोध करता रहा है।

वित्त मंत्री ने माना कि देश में नीतियों को लेकर चर्चा का स्तर काफी कमजोर है। उन्होंने कहा कि देश में नीतियों और खासकर आर्थिक क्षेत्र की नीतियों के मामले में चर्चा के सतर में सुधार लाया जाये इसके लिये राष्ट्रीय स्तर पर प्रयास किया जाना चाहिये। उन्होंने यह भी कहा, कि इन दिनों और भविष्य में भी संपत्ति सृजन एक चुनौती बना रहेगा। जेटली ने इस बात पर खेद जताया कि एक समय था जब हम उत्पादकता बढ़ाने के बजाय केवल नारों और विकल्प पर ध्यान दे रहे थे। ... उत्पादकता बढ़ाने पर ध्यान देने से समान और अधिक समृद्ध वाला परिवेश बनाया जा सकता है।

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