नयी दिल्ली: एम्स के रेजीडेंट डॉक्टरों ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्द्धन से मिले आश्वासन के बाद अपनी हड़ताल खत्म कर दी और रविवार को काम पर लौट आए। स्वास्थ्य मंत्री ने रेजीडेंट डॉक्टरों के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की और उन्हें आश्वस्त किया कि राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) विधेयक को लेकर उनकी चिंताओं का उचित निवारण किया जाएगा। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक को लिखे एक पत्र में रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) ने कहा कि एक मुलाकात के दौरान केंद्रीय (स्वास्थ्य) मंत्री ने उन्हें चिंताओं को दूर करने का भरोसा दिया है।
मंत्री ने उनसे यह भी कहा कि आयोग के नियमों का मसौदा तैयार करने के दौरान एम्स के आरडीए और छात्र संघ के प्रतिनिधियों से भी मशविरा किया जाएगा। वर्द्धन ने एम्स और सफदरजंग अस्पताल के रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशनों के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की तथा आशा जताई कि वे रोगियों को पेश आ रही समस्याओं के मद्देनजर अपनी हड़ताल खत्म करेंगे।
एम्स आरडीए ने एक विज्ञप्ति में कहा है, ‘‘अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान(एम्स) के आंदोलनरत डॉक्टरों ने अपनी हड़ताल खत्म कर ली है।’’ हालांकि, सफदरजंग रेजीडेंट डाक्टरों द्वारा गैर अवाश्यक सेवाएं बहाल करना अभी बाकी है। सूत्रों के मुताबिक अस्पताल के आरडीए के संचालन मंडल की बैठक के दौरान इस बारे में फैसला लिये जाने की संभावना है। एम्स आरडीए ने कहा, ‘‘स्वास्थ्य मंत्री ने एनएमसी विधेयक 2019 लाए जाने के उद्देश्यों के बारे में विस्तार से बताया और हमें भरोसा दिलाया कि एनएमसी का गठन होने पर नियमों का मसौदा तैयार करने के दौरान उनकी आशंकाओं का उचित निवारण किया जाएगा।’’
एम्स नयी दिल्ली में अंडरग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में दाखिला और ‘‘एग्जिट टेस्ट’’ का भी जिक्र किया गया। एम्स आरडीए ने कहा, ‘‘हमें मंत्री ने यह भी भरोसा दिलाया कि विधेयक की धारा 57 के तहत एनएमसी विधेयक के नियमों को बनाने से पहले आरडीए और एम्स (दिल्ली) छात्र संघ के प्रतिनिधियों से मशिवरा किया जाएगा।’’ आरडीए एम्स की संचालन मंडल की एक बैठक के बाद कार्यकारिणी समिति ने हड़ताल खत्म करने और तुरंत प्रभाव से सभी सेवाएं बहाल करने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि एम्स प्रशासन ने भी उन्हें भरोसा दिलाया है कि हड़ताल की अवधि (एक अगस्त से तीन अगस्त तक) के दौरान उन्हें ड्यूटी पर माना जाएगा।
गौरतलब है कि एनएमसी विधेयक मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) की जगह ‘‘एनएमसी’’ के गठन का प्रावधान करता है जो चिकित्सा शिक्षा, पेशा और संस्थानों के सभी पहलुओं का विकास एवं नियमन करेगा। हालांकि, विधेयक में रेजीडेंट डॉक्टर कुछ संशोधन की मांग कर रहे हैं। उनके मुताबिक इसमें संशोधन नहीं किये जाने पर विधेयक चिकित्सा शिक्षा को बर्बाद कर देगा और स्वास्थ्य सेवाओं का क्षरण करेगा। उनका कहना है कि ‘‘एनईईटी-पीजी’’ को रद्द करने और ‘‘एनईएक्सटी’’ पेश करने को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है। वे विधेयक की धारा 32(1), (2) और (3) का भी विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इसके जरिए एमबीबीएस की डिग्री नहीं रखने वाले व्यक्तियों को भी सामुदायिक स्वास्थ्य प्रदाता के तौर पर आधुनिक औषधि की प्रैक्टिस करने का लाइसेंस मुहैया कराने से झोला झाप डॉक्टरी को बढ़ावा मिलेगा।