पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने फसल काटने के बाद उसके अपशिष्ट (पराली) को खेतों में जलाने वाले किसानों को चेतावनी देते हुए कहा कि ऐसे किसान सरकार से मिलने वाली सुविधाओं से वंचित रह जाएंगे। उन्होंने कहा कि पराली जलाने से उपज में कमी तो आती ही है साथ ही पर्यावरण संकट भी पैदा हो रहा है। पटना में फसल अवशेष प्रबंधन पर आयोजित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, "पहले पराली जलाने का दिल्ली, हरियाणा, पंजाब में प्रचलन ज्यादा था, जिसका असर दिल्ली के वातावरण पर भी पड़ता है। परंतु अब बिहार में भी कुछ जगहों पर पराली जलाई जाने लगी है।"
कृषि विभाग और बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके विरुद्घ पंजाब, हरियाणा में भी अभियान चलाया गया है, फिर भी यह रुक नहीं पा रहा है। इसके मूल कारणों को भी जानना-समझना होगा।
उन्होंने इसके लिए किसानों को जागरूक करने पर जोर देते हुए कहा, "किसान सलाहकारों एवं कृषि से जुड़े प्रतिनिधियों को किसानों के बीच जाकर पराली जलाने से होने वाले नुकसानों के बारे में किसानों को सही जानकारी देनी चाहिए और उन्हें पराली नहीं जलाने के प्रति जागरूक करना चाहिए।"
उन्होंने कहा, "किसानों को यह बात समझानी होगी कि पराली के जलाने से खेतों में उपज में कमी के साथ-साथ पर्यावरण पर भी फर्क पड़ रहा है। किसानों को यह समझाना होगा कि अगर पराली का दूसरे कार्यो में उपयोग किया जाए, जैसे पराली को इकट्ठा कर कई अन्य प्रकार की चीजों का निर्माण कराया जाए तो अनाज के साथ-साथ इससे भी किसानों की आमदनी बढ़ेगी।"
बिहार में किसानों की उन्नति के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रमों की चर्चा करते हुए नीतीश ने कहा कि किसानों की हर संभव सहायता की जा रही है। उन्होंने कहा कि जो किसान पराली जलाएंगे, वे सरकार की तरफ से मिलने वाली सुविधाओं से वंचित रह जाएंगे। उन्होंने लोगों को विश्वास दिलाते हुए कहा कि इस सम्मेलन में परिचर्चा से जो उपयोगी बातें सामने आएंगी, उसे कार्य योजना में शामिल किया जाएगा।
इस कार्यक्रम को उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, कृषि और पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के मंत्री प्रेम कुमार, मुख्यमंत्री के पूर्व कृषि सलाहकार एवं कृषि वैज्ञानिक डॉ. मंगला राय, कृषि विभाग के सचिव एऩ श्रवण कुमार ने भी संबोधित किया।