गाजियाबाद: निठारी कांड के 10वें मामले में सीबीआई के विशेष न्यायाधीश अमितवीर सिंह की अदालत ने शनिवार को मामले के दोषी सुरेंद्र कोली को फांसी की सजा सुनाई। साथ ही उस पर एक लाख दस हजार रूपये का जुर्माना भी लगाया। सीबीआई के विशेष लोक अभियोजन अधिकारी जेपी शर्मा ने बताया, ‘‘पश्चिम बंगाल निवासी 14 वर्षीय नाबालिग अपने माता-पिता के साथ निठारी गांव में रहती थी। नाबालिग की मां घरों में जाकर साफ सफाई का काम करती थी। वह भी मां के काम में हाथ बटांती थी। जबकि उसका पिता चाय की दुकान चलाता था। 15 मार्च 2005 को नाबालिग घर से नोएडा के सेक्टर 31 गई थी।’’
उन्होंने बताया, ‘‘जब वह रात तक वापस नहीं आई, तो उसके पिता ने उसे काफी जगह ढूंढ़ा। जब उसका कुछ पता नहीं चला तो उन्होंने नोएडा के सेक्टर 20 थाने में 16 मार्च 2005 को उसके लापता होने की शिकायत की। लगातार गायब हो रहे बच्चों को लेकर नोएडा पुलिस ने 29 दिसंबर 2006 को अभियुक्त सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर को पकड़ कर मामले का खुलासा किया था।’’ शर्मा ने बताया, ‘‘कोली ने पूछताछ के दौरान महिला और बच्चों की हत्या किए जाने का अपराध स्वीकार किया था। पुलिस ने कोली की निशानदेही पर कोठी संख्या डी-5 के पीछे नाले से बच्चों की हड्डी, कंकाल ओर जूते चप्पल व कपड़े बरामद किए थे। बाद में यह मामला जांच के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो को दे दिया गया।’’
जांच एजेंसी ने कोली और पंढेर के खिलाफ 19 मामले दर्ज किए थे। कोली ने पूछताछ के दौरान नाबालिग की हत्या करने का जुर्म कबूल करते हुए सीबीआई को बताया था कि उसने नाबालिग को कोठी के बाहर रोक लिया था और बहला फुसलाकर कोठी के अंदर ले गया। अदालत ने शुक्रवार को सुनवाई के बाद पेश सबूत ओर गवाहों के बयान के आधार पर कोली को दोषी करार दिया था। शनिवार को कोर्ट ने अभियुक्त कोली को फांसी की सजा सुनाई। साथ ही एक लाख दस हजार का जुर्माना भी लगाया है।