उत्तराखंड। देहरादून के एक निजी अस्पताल में मध्य प्रदेश के महानिर्वाणी अखाड़े से जुड़े महामंडलेश्वर कपिल देव का निधन हो गया। उन्हें कोरोना वायरस के उपचार के लिए भर्ती किया गया था। देहरादून की शहर पुलिस अधीक्षक सरिता डोभाल ने बताया कि महामंडलेश्वर का 13 अप्रैल को निधन हो गया। हरिद्वार के मुख्य चिकित्सा अधिकारी शम्भू कुमार झा ने बताया कि महामंडलेश्वर मध्य प्रदेश से महाकुंभ मेले में शाही स्नान करने के लिए हरिद्वार आए थे और इसी दौरान तबीयत बिगड़ने पर उन्हें देहरादून के कैलाश अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
हरिद्वार कुंभ में बढ़ रहे कोरोना मामले
उत्तराखंड में चल रहे महाकुंभ में कोरोना विस्फोट हुआ है। समाचार एजेंसी एनआई के मुताबिक, स्टेट कोविड कंट्रोल रूम के अनुसार, 10 अप्रैल से 14 अप्रैल तक हरिद्वार में कुल 2,167 कोविड मामले पाए गए हैं। बता दें कि, हरिद्वार कुंभ मेले में कई धर्मिक संगठन के प्रमुखों ने कोरोना टेस्ट कराने से इंकार कर दिया था। नतीजा ये है कि अब मेले में हालात बेहद खराब हो रहे हैं। वहीं, इस दौरान कोरोना गाइडलाइन्स का पालन नहीं किया जा रहा है। ना तो मास्क दिख रहा है और ना ही सोशल डिस्टेंसिंग का ही पालन किया जा रहा है।
2 हफ्ते पहले खत्म किया जा सकता है कुंभ मेला
बताया जा रहा है कि हरिद्वार कुंभ मेले में बढ़ते कोरोना मामलों को लेकर बड़ा फैसला लिया जा सकता है। कुंभ मेला को दो हफ्ते पहले खत्म किया जा सकता है। सूत्रों का कहना है कि उत्तराखंड सरकार और धार्मिक नेताओं के बीच चर्चा के बाद यह फैसला लिया गया है। गंगा नदी के तट पर होने वाले वार्षिक कार्यक्रम में नदी में डुबकी लगाने के लिए हजारों की संख्या में लोग पहुंचे हुए हैं। इसने देशभर में कोरोना के मामले बढ़ाने को लेकर चिंता बढ़ा दी थी। बता दें कि, मेला क्षेत्र में स्वास्थ्य विभाग ने 100 स्थानों पर जांच केंद्र स्थापित किए हैं। इसके अलावा जिले की सीमाओं पर स्थित चेकपोस्ट पर भी जांच की जा रही है। इसके अलावा तीन-तीन चिकित्सकों की पांच क्यूआरटी (क्विक रेस्पांस टीम) भी तैनात की गई हैं।
उत्तराखंड: कुंभ मेला क्षेत्र में 1701 कोरोना वायरस संक्रमित मिले
हरिद्वार कुंभ मेला क्षेत्र में 10 से 14 अप्रैल के बीच 1700 से अधिक लोगों के कोरोना वायरस संक्रमित पाए जाने के बीच आशंका जताई जा रही है कि विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक जमावड़ा कोविड-19 के मामलों में आ रहे जबरदस्त उछाल को और तेज कर सकता है। स्वास्थ्यकर्मियों ने मेला क्षेत्र में इन पांच दिनों में 2,36,751 कोविड जांच कीं, जिनमें से 1701 लोगों की रिपोर्ट में उनके महामारी से ग्रस्त होने की पुष्टि हुई।
हरिद्वार के मुख्य चिकित्साधिकारी शंभु कुमार झा ने कहा कि इस संख्या में श्रद्धालुओं और विभिन्न अखाड़ों के साधु-संतों की हरिद्वार से लेकर देवप्रयाग तक पूरे मेला क्षेत्र में पांच दिनों में की गई आरटी-पीसीआर और रैपिड एंटीजन जांच दोनों के आंकड़े शामिल हैं। उन्होंने बताया कि अभी और आरटी-पीसीआर जांच के नतीजे आना बाकी हैं और इस परिस्थिति को देखते हुए कुंभ मेला क्षेत्र में संक्रमित व्यक्तियों की संख्या 2000 के पार निकलने की पूरी आशंका है।
हरिद्वार, टिहरी और ऋषिकेश सहित देहरादून जिले के विभिन्न भागों में 670 हेक्टेयर क्षेत्रफल में महाकुंभ क्षेत्र फैला हुआ है। सोमवार को सोमवती अमावस्या तथा बुधवार को मेष संक्रांति और बैसाखी के पर्व पर हुए दोनों शाही स्नानों में गंगा में डुबकी लगाने वाले 48.51 लाख श्रद्धालुओं में से ज्यादातर लोग बिना मास्क पहने और सामाजिक दूरी रखने जैसे कोविड से बचाव के नियमों का उल्लंघन करते नजर आए। इस दौरान पुलिस हर की पैड़ी ब्रह्मकुंड में समय की कमी के चलते अखाड़ों के साधुओं और संन्यासियों को कोविड से बचाव के दिशा-निर्देशों का पालन करवाने में असफल रही। 14 अप्रैल को मेष संक्रांति के शाही स्नान के पहले साधु संत आरटी-पीसीआर जांच के लिए तैयार नहीं हुए। हालांकि, अखाड़ों सहित कुंभ क्षेत्र के विभिन्न स्थानों पर जांच और टीकाकरण अभियान में अब आने वाले दिनों में तेजी आने की संभावना है।
कुंभ में शामिल होने के लिए जारी की गई है एसओपी
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सेवाओं के आयुक्त के.वी. त्रिलोक चंद्रा ने इस संबंध में एक परिपत्र जारी किया है। भारत सरकार द्वारा हरिद्वार में कुंभ मेला जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए मानक संचालन प्रक्रिया का हवाला देते हुए चंद्रा ने कहा, ‘‘कुंभ मेला में शामिल होने वाले श्रद्धालु या आगंतुकों को मानक संचालन प्रक्रिया का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया जाता है।’’ उन्होंने कहा कि लौटने पर उन्हें सूचित करना होगा कि वे पृथक-वास में हैं और उन्हें तुरंत आरटी-पीसीआर से जांच करानी होगी तथा संक्रमण की पुष्टि नहीं होने पर ही रोजमर्रा की गतिविधि शुरू करनी होगी।