Wednesday, November 06, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. भारत
  3. राष्ट्रीय
  4. फिर से भूचाल ला सकता है निर्भया हत्याकांड, मुसीबत में फंसा चश्मदीद

फिर से भूचाल ला सकता है निर्भया हत्याकांड, मुसीबत में फंसा चश्मदीद

सन 2012 में दुनिया को दहला देने वाला निर्भया हत्याकांड एक बार फिर से भूचाल ला सकता है। इसकी वजह होगी दिल्ली पुलिस को दी गई एक खास शिकायत।

Reported by: IANS
Published on: November 14, 2019 9:02 IST
फिर से भूचाल ला सकता है निर्भया हत्याकांड, मुसीबत में फंसा चश्मदीद- India TV Hindi
फिर से भूचाल ला सकता है निर्भया हत्याकांड, मुसीबत में फंसा चश्मदीद

नई दिल्ली: सन 2012 में दुनिया को दहला देने वाला निर्भया हत्याकांड एक बार फिर से भूचाल ला सकता है। इसकी वजह होगी दिल्ली पुलिस को दी गई एक खास शिकायत। दक्षिण पश्चिम दिल्ली जिले के डीसीपी और आर.के. पुरम थाने में यह शिकायत, निर्भया हत्याकांड में फांसी की सजा पाए चार में से एक मुजरिम के पिता की ओर से दी गई है। इस दलील के साथ कि निर्भया कांड में जिसे (कल तक निर्भया का दोस्त) बतौर इकलौता गवाह अदालतों में परोसा-पेश किया गया, दरअसल वह कथित तौर पर झूठा और बिकाऊ है।

Related Stories

आरोप के मुताबिक, निर्भया कांड में तमाम अखबारों और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में इस कथित चश्मदीद (गवाह) ने अब तक जो भी बयान दिए, वे सब मनगढ़ंत और पैसे के बलबूते लिए-दिए गए हैं! संबंधित सनसनीखेज आरोपों से भरी यह शिकायत दिल्ली के आर.के. पुरम थाने में दो नवंबर, 2019 को दी गई है। शिकायतकर्ता के नाम पते की जगह पर हीरा लाल गुप्ता पुत्र नौरंगी लाल गुप्ता, हाल-पता जे-64 रविदास कैंप, सेक्टर-3 आरके पुरम लिखा है।

दरअसल, हीरा लाल गुप्ता का ही बेटा पवन कुमार गुप्ता दिल्ली की मंडोली स्थित जेल नंबर-14 में बंद है। पवन कुमार गुप्ता, निर्भया हत्याकांड में फांसी की सजा पाए चार दोषियों (मुकेश, अक्षय कुमार सिंह, विनय कुमार शर्मा) में से एक है।

मुजरिम पवन कुमार गुप्ता के पिता द्वारा थाने में दी गई शिकायत में कहा गया है, "12 अक्टूबर, 2019 को सोशल मीडिया के जरिए पता चला कि निर्भया का दोस्त जोकि उस मामले में इकलौता चश्मदीद गवाह बनाया गया था, पैसे लेकर टीवी न्यूज चैनलों में बयानबाजी करने जाया करता था।"

शिकायत में आगे मुजरिम के पिता ने दिल्ली पुलिस द्वारा की गई उस जांच को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है, जिस जांच के बलबूते निर्भया कांड के मुलजिमों को फांसी की सजा मुकर्रर कर दी गई।

शिकायत में एक टीवी चैनल के दो-तीन वरिष्ठों को भी गवाह के बतौर पेश किया गया है। उन दिनों खुद को एक हिंदी न्यूज चैनल का संपादकीय प्रबंधक (मैनेजिंग एडिटर) बताने वाले शख्स ने, कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर कथित दावा किया था कि निर्भया का दोस्त और हत्याकांड का इकलौता चश्मदीद गवाह मोटी रकम वसूलकर ही इंटरव्यू (बयान) देने चैनलों में जाता/बैठता था। इस पूरे गोरखधंधे का स्टिंग ऑपरेशन करने के राज का खुलासा भी इस पूर्व मैनेजिंग एडिटर ने किया था।

हालांकि अब इस कथित सनसनीखेज खुलासे के बाद सवाल उठ रहा है कि जब इतना बड़ा राज कैमरे में कैद था तो फिर टीआरपी के लिए दिन भर कुछ भी दिखाते रहने के लिए चर्चित चैनल ने इतना बड़ा स्टिंग ऑपरेशन क्यों नहीं 'ऑन-एयर'(प्रसारित) किया? इस सवाल के जबाब में 'स्टिंग ऑपरेशन के खुलासे से निर्भया के मुजरिमों को नाजायज लाभ मिल सकता था' जैसा बे-सिर-पैर का राग-अलापा जा रहा है।

इस बारे में मुजरिम पवन के वकील का कहना है, "अगर स्टिंग ऑपरेशन से निर्भया के हत्यारों को नाजायज फायदा मिल सकता था तो फिर हम भी अपने बेकसूर मुवक्किलों को फांसी के फंदे पर इतनी आसानी से क्यों चढ़ जाने दें, सिर्फ एक अदद उस शख्स की गवाही पर, पैसे लेकर बयान देने का जिसका स्टिंग ऑपरेशन दुनिया में किसी के पास मौजूद है।"

उन्होंने आगे कहा, "चैनल के जिस मैनेजिंग एडिटर ने संदिग्ध गवाह का स्टिंग किया है, हम उसे ही अब गवाह बनाकर हर अदालत में मय स्टिंग ऑपरेशन के बुलवाएंगे। कानूनन न्याय की दरकार सिर्फ किसी एक को नहीं सबको है।"

शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत के साथ उन 'क्लिपिंग्स' को भी लगाया है, जो सोशल मीडिया पर प्रकाशित हुई थीं। शिकायत में टीवी चैनल के उस पूर्व संपादकीय अधिकारी का नाम भी खोला गया है, जिसने निर्भया हत्याकांड के मुलजिमों को फांसी की सजा मुकर्रर हो जाने के कई साल बाद मुंह खोला।

इस पूरे मामले पर निर्भया हत्याकांड में चार में से तीन मुजरिमों के पैरोकार और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. ए.पी. सिंह ने कहा, "मुख्य और इकलौते गवाह पर पैसे लेकर टीवी चैनलों में बयान देने की सोशल मीडिया में छाई खबरें अगर सही हैं, तो हम मुजरिम करार दिए गए अपने मुवक्किलों को बचाने के लिए हर कानूनी कदम का सहारा लेंगे। इसकी क्या और कौन गारंटी देगा-लेगा कि टीवी चैनलों पर मोटी रकम लेकर बयान देने वाले गवाह ने अदालत को गुमराह नहीं किया होगा। झूठी गवाही का खामियाजा भला मेरे मुवक्किल क्यों भोगें? जिस गवाह का चरित्र ही संदेह के घेरे में आ गया हो, अदालत में दिए उसके बयानों पर भला फिर भरोसा कैसे कर लिया जाए? यह चार इंसानों (निर्भया हत्याकांड को सजायाफ्ता मुजरिम) की जिंदगी का सवाल है।"

बुधवार रात इस सिलसिले में दक्षिण-पश्चिम दिल्ली जिले के उस आर.के. पुरम थाने के एसएचओ इंस्पेक्टर रविंद्र मलिक से भी बात की गई, जहां शिकायत डीडी नंबर 26-ए पर दिनांक दो नवंबर, 2019 को दर्ज कराई गई है। एसएचओ ने कहा, "हां, शिकायत तो मिली है।" इतनी संवेदनशील शिकायत पर 12-13 दिनों में अब तक थाना पुलिस ने क्या कदम उठाए? एसएचओ रविंदर मलिक ने इस सवाल पर फोन काट दिए।

उल्लेखनीय है कि निर्भया कांड का मामला इसी जिले के वसंत विहार थाने में दर्ज था। फिर यह शिकायत आर.के.पुरम थाने में दर्ज क्यों हुई? पूछने पर मुजरिम पवन कुमार गुप्ता के अधिवक्ता डॉ. ए.पी. सिंह ने कहा, "मैं शिकायतकर्ता के साथ पहले शिकायत लेकर वसंत विहार थाने ही गया था। वसंत विहार थाने का एसएचओ दो-तीन घंटे तक टाल-मटोलकर मुझे बहलाता-फुसलाता-बरगलाता रहा। उसके बाद वसंत विहार थाने के ऊपर स्थित डीसीपी देवेंद्र आर्या के दफ्तर में मैं शिकायत दाखिल कर आया।"

इस सिलसिले में बुधवार रात वसंत विहार थाने के एसएचओ इंस्पेक्टर रवि शंकर से बात की। उन्होंने कहा, "मेरे थाने में वे लोग कंप्लेंट लेकर आए थे। चूंकि शिकायतकर्ता रहता आर.के. पुरम थाने के इलाके में है, लिहाजा वसंत विहार थाने में मैंने शिकायत नहीं ली।"

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement