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दया याचिका लेकर ट्रायल कोर्ट पहुंचा निर्भया का दोषी मुकेश, कल दो बजे होगी सुनवाई

निर्भया सामूहिक बलात्कार एवं हत्याकांड मामले के दोषी मुकेश के वकील ने ट्रायल कोर्ट में दया याचिका दाखिल की। इसके साथ ही वकील ने फांसी की तारीख को बढ़ाने की भी मांग की है।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: January 15, 2020 18:35 IST
निर्भया सामूहिक...- India TV Hindi
निर्भया सामूहिक बलात्कार एवं हत्याकांड मामले के दोषी मुकेश के वकील ने ट्रायल कोर्ट में दया याचिका दाखिल की।

नई दिल्ली: निर्भया सामूहिक बलात्कार एवं हत्याकांड मामले के दोषी मुकेश के वकील ने ट्रायल कोर्ट में दया याचिका दाखिल की। इसके साथ ही वकील ने फांसी की तारीख को बढ़ाने की भी मांग की है। मुकेश के वकील की याचिका को मंजूर करने हुए ट्रायल कोर्ट ने दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया और कहा कि कल (गुरुवार) दोपहर दो बजे सुनवाई होगी। ट्रायल कोर्ट ने 2012 के दिल्ली गैंगरेप पीड़िता के माता-पिता से भी मामले में उनका पक्ष रखने के लिए कहा है।

HC से राहत नहीं, ट्रायल कोर्ट में याचिका

दरअसल, इससे पहले दिल्ली उच्च न्यायालय ने डेथ वारंट को चुनौती देते हुए दायर की गई याचिका को सुनने से इनकार कर दिया था। हालांकि, अदालत ने उसे सत्र अदालत में चुनौती देने की छूट दी थी। जिसके बाद दोषी मुकेश के वकील ने ट्रायल कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। मुकेश के वकील ने याचिका में दया और 22 जनवरी को होने वाली फांसी को आगे के लिए टालने की अपील की है। कोर्ट ने इस याचिका की सुनवाई के लिए गुरुवार को दो बजे का वक्त तय किया है।

मैं 7 साल से संघर्ष कर रही हूं: निर्भया की मां

निर्भया के दोषियों को फांसी के फंदे पर लटकाने के मामले में हो रही देरी को लेकर निर्भया की मां आशा देवी ने एक बार फिर से निराशा जाहिर की है। आशा देवी ने कहा कि "दोषियों के या तो वकील एग्जिक्यूशन में देरी कराने की कोशिश कर रहे हैं या हमारा सिस्टम ही अंधा है और अपराधियों का समर्थन कर रहा है। मैं 7 साल से संघर्ष कर रही हूं। मुझे पूछने के बजाय, आपको सरकार से पूछना चाहिए कि क्या दोषियों को 22 जनवरी को फांसी दी जाएगी या नहीं?

निर्भया के माता-पिता के वकील जितेंद्र झा ने क्या कहा?

निर्भया के माता-पिता के वकील जितेंद्र झा ने दिल्ली सरकार पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि "दिल्ली सरकार की ये ड्यूटी थी कि वह सेशन कोर्ट जाए और मौत की सजा को एग्जिक्यूट करवाए। लेकिन, उन्होंने बहुत देर कर दी।" जितेंद्र झा ने कहा कि "हमारे अलावा सब खुश हैं। दोषी अपने अधिकार की बात कर रहे हैं और उसका इस्तेमाल भी कर रहे हैं। पीड़ित हर जगह परेशान हो रहे हैं। आरोपी एन्जॉय कर रहे हैं। हमें इसमें क्या मिला?"

निचली अदालत के फैसले में कोई त्रुटि नहीं: HC

बता दें कि दोषी मुकेश के वकील के ट्रायल कोर्ट का दरवाजा खटखटाने से पहले बुधवार को ही दिल्ली उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति मनमोहन और न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल की पीठ ने कहा कि दोषी मुकेश कुमार सिंह की मौत की सजा के फैसले पर अमल के लिए सात जनवरी को वारंट जारी करने के निचली अदालत के फैसले में कोई त्रुटि नहीं है। सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने उच्च न्यायालय को सूचित किया, चूंकि इनमें से एक दोषी ने दया याचिका दायर की है इसलिए दोषियों को 22 जनवरी को फांसी नहीं दी जाएगी। 

दोषी मुकेश के वकील ने चुना सत्र अदालत का रास्ता

चारों दोषियों- विनय शर्मा (26), मुकेश कुमार (32), अक्षय कुमार सिंह (31) और पवन गुप्ता (25) को 22 जनवरी को तिहाड़ जेल में सुबह सात बजे फांसी दिये जाने की घोषणा की गई है। दिल्ली की एक अदालत ने उनकी मौत की सजा के फैसले पर अमल के लिए सात जनवरी को वारंट जारी किया था। उच्च न्यायालय ने जब यह कहा कि वह मामले में दखल नहीं देना चाहता और याचिकाकर्ता सत्र अदालत या उच्चतम न्यायालय का रुख कर सकते हैं, तो मुकेश के वकीलों ने पीठ से कहा कि वे मौत की सजा के फैसले पर अमल के लिए जारी वारंट के खिलाफ सत्र अदालत जाएंगे। 

दिल्ली सरकार और केंद्र ने HC में क्या कहा?

पीठ को दिल्ली सरकार और केंद्र ने बताया कि दोषी मुकेश द्वारा अपने मृत्यु वारंट के खिलाफ अपरिपक्व याचिका दाखिल की गई है। उन्होंने यह भी कहा कि मौजूदा दया याचिका पर जब तक फैसला नहीं आ जाता तब तक 22 जनवरी को किसी भी दोषी को फांसी नहीं दी जा सकती है। जेल अधिकारियों की दलील के जवाब में अदालत ने कहा, ‘‘अपनी व्यवस्था दुरुस्त रखिए।’’ अदालत ने कहा, ‘‘आपका घर अव्यवस्थित है। समस्या यह है कि लोग व्यवस्था पर से भरोसा खो देंगे। चीजें सही दिशा में नहीं बढ़ रहीं। व्यवस्था का दुरुपयोग होने की गुंजाइश है और हम इस संबंध में तिकड़म होते देख रहे हैं, जिससे व्यवस्था अनजान है।’’ 

दिल्ली सरकार के वकील की दलील

उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को मुकेश और विनय की सुधारात्मक याचिकाओं को खारिज कर दिया था। दिल्ली सरकार के स्थाई वकील (फौजदारी) राहुल मेहरा ने सुनवाई के दौरान पीठ से कहा कि अब उनमें से एक ने दया याचिका दाखिल की है, इसलिए जेल नियमों के अनुसार चारों में से किसी को फांसी नहीं दी जा सकती। उन्होंने कहा, चूंकि मुकेश ने दया याचिका दायर की है इसलिए नियमों के मुताबिक उन्हें अन्य दोषियों के भी इस विकल्प का इस्तेमाल करने का इंतजार करना होगा। इस पर पीठ ने कहा, ‘‘तो आपका नियम ही खराब है, आप तब तक कार्रवाई नहीं कर सकते जब तक सह-दोषी दया याचिका दाखिल नहीं कर देते। कोई दिमाग ही नहीं लगाया गया। व्यवस्था कैंसर से ग्रस्त है।’’

जेल अधिकारियों के बचाव में राहुल मेहरा

जेल अधिकारियों के बचाव में मेहरा ने कहा कि दोषी कानूनी प्रक्रिया और प्रणाली को ही चुनौती दे रहे हैं और फांसी में देरी के लिए सुधारात्मक तथा दया याचिकाएं दाखिल कर रहे हैं। मेहरा ने कहा कि अगर 21 जनवरी की दोपहर तक दया याचिका पर कोई निर्णय नहीं लिया जाता तो जेल अधिकारियों को नये सिरे से मृत्यु वारंट जारी कराने के लिए सत्र अदालत जाना होगा। उन्होंने कहा कि अगर 22 जनवरी से पहले या बाद में दया याचिका खारिज की जाती है तो भी सभी दोषियों के लिए निचली अदलत से नया मृत्यु वारंट जारी कराना होगा। 

HC ने की जेल अधिकारियों की खिंचाई

जेल अधिकारियों की खिंचाई करने के साथ ही अदालत ने चारों दोषियों को मौत की सजा सुनाये जाने के खिलाफ उनकी अपीलों को उच्चतम न्यायालय द्वारा मई 2017 में खारिज किये जाने के बाद मुकेश की सुधारात्मक तथा दया याचिकाओं को दायर किये जाने में देरी पर भी निराशा प्रकट की। पीठ ने जेल अधिकारियों से इस बात के लिए नाराजगी जताई कि उन्होंने शीर्ष अदालत के याचिकाएं खारिज करने के बाद उन्हें दया याचिकाएं दाखिल करने के लिए कहने में देरी की। 

(इनपुट- ANI, भाषा और रिपोर्ट)

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