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भीमा-कोरेगांव मामले में NIA ने दाखिल की चार्जशीट, गौतम नवलखा सहित आरोपियों के नाम

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA)ने भीमा कोरेगांव मामले में विशेष NIA अदालत में चार्जशीट दाखिल कर दी है और चार्जशीट में षडयंत्र के लिए 8 आरोपियों के नाम दिए गए हैं।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: October 09, 2020 22:19 IST
NIA Files Charge sheet in Bhima Koregaon Elgar Case । भीमा-कोरेगांव मामले में NIA ने दाखिल की चार्जश- India TV Hindi
Image Source : NIA NIA Files Charge sheet in Bhima Koregaon Elgar Case । भीमा-कोरेगांव मामले में NIA ने दाखिल की चार्जशीट, गौतम नवलखा सहित आरोपियों के नाम

नई दिल्ली. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA)ने भीमा कोरेगांव मामले में विशेष NIA अदालत में चार्जशीट दाखिल कर दी है और चार्जशीट में षडयंत्र के लिए 8 आरोपियों के नाम दिए गए हैं। 8 आरोपियों के नाम इस तरह से हैं, गौतम नवलखा, आनंत तेलदुम्बडे, हनी बाबू, सागर गोरखे, रमेश गईचोर, ज्योती जगताप, फादर स्टैन स्वामी और मिलिंद तेलतुम्बडे।

चार्जशीट में कहा गया है कि दिसंबर 2017 में पुणे के शनिवारवाड़ा में हुए एल्गार परिषद के कार्यक्रम में भड़काऊ भाषण दिए जिससे महाराष्ट्र के अलग-अलग जातीय वर्गों में शत्रुता बढ़ी और हिंसा हुई जिसमें राज्य की सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचा। चार्जशीट में कहा गया है कि जांच में पता चला कि प्रतिबंधित सीपीआई के वरिष्ठ नेता एल्गार परिषद के आयोजकों के साथ संपर्क में थे ताकि गैर कानूनि गतिविधियों के जरिए माओवाद और नक्सलवाद की विचारधारा को फैलाया जा सके।

भीमा कोरेगांव मामले में नवलखा की भूमिका और भागीदारी को उजागर करते हुए, एनआईए ने अपने आरोप पत्र में दावा किया कि जांच के दौरान यह पाया गया कि उसके सीपीआई (माओवादी) कैडरों के बीच गुप्त संचार हुआ था। एनआईए ने कहा, "नवलखा को सरकार के खिलाफ बुद्धिजीवियों को एकजुट करने का काम सौंपा गया था। वह कुछ तथ्य-खोज समितियों का हिस्सा थे और उन्हें सीपीआई (माओवादी) की गुरिल्ला गतिविधियों के लिए कैडर भर्ती करने का काम सौंपा गया था।" एजेंसी ने कहा, "इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के साथ भी उनके संबंध सामने आए हैं।"

एनआईए ने यह भी कहा कि बाबू सीपीआई (माओवादी) क्षेत्रों में विदेशी पत्रकारों की यात्राओं के आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था और उसे रिवोल्यूशनरी डेमोक्रेटिक फ्रंट (आरडीएफ) के वर्तमान और भविष्य के कार्य सौंपे गए थे। बाबू प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन, मणिपुर की कुंगलपाक कंगलेपाक कम्युनिस्ट पार्टी (केसीपी) के संपर्क में था और दोषी अभियुक्त जी. एन. साईबा सीपीआई (माओवादी) के निर्देशों पर चल रहा था और उसी के लिए धन जुटा रहा था।

एनआईए ने इस साल 28 जुलाई को बाबू को नोएडा स्थित उसके आवास से गिरफ्तार किया था, जबकि नवलखा को 14 अप्रैल को आनंद तेलतुम्बडे के साथ गिरफ्तार किया गया था। स्वामी की भूमिका का हवाला देते हुए, जिसे गुरुवार रात रांची से गिरफ्तार किया गया था और शुक्रवार को मुंबई में एक अदालत के समक्ष पेश किया गया था, एनआईए ने कहा कि वह एक सीपीआई (माओवादी) कैडर है और उसकी गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल रहा है। आरोप पत्र में कहा गया है कि स्वामी अन्य सीपीआई (माओवादी) कैडरों के साथ संचार में थे।

एनआईए ने यह भी आरोप लगाया कि स्वामी ने अपनी गतिविधियों के लिए अन्य माओवादी कैडरों से धन प्राप्त किया। राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने आरोप लगाया कि वह सीपीआई (माओवादी) के फ्रंटल संगठन पीपीएससी का संयोजक है। एजेंसी ने कहा, "भाकपा (माओवादी) की गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए संचार से संबंधित दस्तावेजों और प्रचार सामग्री को जब्त कर लिया गया है।"

आरोपपत्र में यह भी आरोप लगाया गया है कि आनंद तेलतुम्बडे, नवलखा, बाबू, गोरखे, गाइचोर, जगताप और स्वामी ने अन्य आरोपी व्यक्तियों के साथ मिलकर भाकपा (माओवादी) की विचारधारा को आगे बढ़ाया और कानून द्वारा स्थापित सरकार के प्रति असहमति पैदा करते हुए विभिन्न समूहों के बीच धर्म, जाति और समुदाय को लेकर दुश्मनी को बढ़ावा दिया। एनआईए ने आरोप पत्र में दावा किया, "फरार आरोपी मिलिंद ने अन्य आरोपी व्यक्तियों को हथियार प्रशिक्षण देने के लिए प्रशिक्षण शिविर भी आयोजित किए।"

इस मामले में एनआईए ने इस साल 24 जनवरी को मामला दर्ज किया था। मालूम हो कि पुणे के पास भीमा कोरेगांव में एक युद्ध स्मारक के पास एक जनवरी 2018 को हिंसा भड़क गई थी। इसके एक दिन पहले ही पुणे शहर में हुए एल्गार परिषद सम्मेलन के दौरान कथित तौर पर उकसाने वाले भाषण दिए गए थे। पुणे पुलिस ने इस मामले में क्रमश: 15 नवंबर, 2018 और 21 फरवरी, 2019 को एक आरोप पत्र और एक पूरक आरोप पत्र दायर किया था। एनआईए ने सात सितंबर को गोरखे और गाइचोर को गिरफ्तार किया था। (With inputs from IANS)

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