राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) दिल्ली में बढ़े वायु प्रदूषण पर नियंत्रण लगाने के लिए दिल्ली सरकार की प्रस्तावित वाहनों के ऑड-इवन फॉर्मूले पर आज सुनवाई करेगा. केजरीवाल सरकार अपने प़ैसले के पक्ष में राज्य में पिछली दो बार लागू किए ऑड-इवन से जुड़े डेटा एनजीटी के सामने पेश करेगी.
दिल्ली सरकार ने वायु प्रदूषण पर काबू पाने के लिए 13 नवंबर से 17 नवंबर तक शहर में ऑड-इवन फॉर्मूला लागू करने की घोषणा की है लेकिन एनजीटी ने शुक्रवार को कहा कि इस फॉर्मूले की पिछले बार की उपयोगिता साबित होने के बाद ही इसे फिर लागू करने की इजाजत दी जाएगी. एनजीटी के अध्यक्ष जस्टिस स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि केंद्रीय और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट में नंबर नियम के दौरान प्रदूषक तत्वों, पीएम 10 और पीएम 2.5 की मात्रा बढ़ी हुई पाई गई. ऐसे में इस कवायद को जबरन लोगों पर थोपने की इजाजत नहीं दी जा सकती.
इसके साथ ही एनजीटी ने सरकार से यह बताने को भी कहा कि इस नियम के दौरान महिलाओं और दो पहिया वाहनों को छूट क्यों दी गई है, जबकि आईआईटी कानपुर की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली के प्रदूषण में दो पहिया वाहनों की हिस्सेदारी 46 प्रतिशत है. पीठ ने दिल्ली सरकार से कहा कि 'हम आपकी इस मुहिम को रोकना नहीं चाहते है. यह वास्तव में पर्यावरण के हित में उठाया गया प्रशंसनीय कदम है, लेकिन इसे जिस तरीके से लागू किया जा रहा है वह अवैज्ञानिक और निरर्थक प्रतीत होता है.'
वहीं एनजीटी के इस आदेश पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए केजरीवाल सरकार के मंत्री गोपाल राय ने कहा कि सरकार के पास ऑड इवन फॉमूले के प्रभाव का तथ्यवार ब्योरा मौजूद है. राय ने कहा कि इसे सरकार दिल्ली हाईकोर्ट के सामने भी पेश कर चुकी है और एनजीटी में यह रिपोर्ट दाखिल कर दी जाएगी. उन्होंने कहा कि ‘सरकार एनजीटी के सामने यह रिपोर्ट रखेगी और अगर एनजीटी कहता है कि इसे लागू करने का कोई लाभ नहीं है तो सरकार ऐसा नहीं करेगी.’