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पाकिस्तान से लौटी गीता को मिला नया ठिकाना, नए सिरे से होगी माता-पिता की खोज

पाकिस्तान से करीब पांच साल पहले भारत लौटी मूक-बधिर युवती गीता को जिला प्रशासन ने उसकी इच्छा के मुताबिक इंदौर के एक नए गैर सरकारी संगठन को देख-रेख के लिए सौंप दिया है।

Reported by: Bhasha
Published on: July 21, 2020 17:09 IST
पाकिस्तान से लौटी...- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO पाकिस्तान से लौटी गीता को मिला नया ठिकाना, नए सिरे से होगी माता-पिता की खोज

इंदौर (मध्यप्रदेश): बहुचर्चित घटनाक्रम में पाकिस्तान से करीब पांच साल पहले भारत लौटी मूक-बधिर युवती गीता को जिला प्रशासन ने उसकी इच्छा के मुताबिक इंदौर के एक नए गैर सरकारी संगठन को देख-रेख के लिए सौंप दिया है। यह संगठन गीता को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के प्रयासों के साथ ही उसके दो दशक पहले बिछुड़े माता-पिता की नए सिरे से तलाश शुरू करेगा।

राज्य के सामाजिक न्याय एवं नि:शक्त जन कल्याण विभाग के एक अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि गीता को स्थानीय गैर सरकारी संस्था (एनजीओ) "मूक-बधिर संगठन" के छात्रावास से दिव्यांगों की मदद के लिए ये चलाये जा रहे एक अन्य एनजीओ "आनंद सर्विस सोसायटी" के परिसर में भेजा गया है। यह कदम मूक-बधिर युवती की लिखित सहमति के बाद उठाया गया है। उन्होंने बताया कि आनंद सर्विस सोसायटी के संचालक और सांकेतिक भाषा विशेषज्ञ ज्ञानेंद्र पुरोहित को गीता की देख-रेख और उसके माता-पिता की खोज का दायित्व सौंपा गया है।

गौरतलब है कि गीता को पाकिस्तान से स्वदेश लाने और उसके माता-पिता को खोजने के अभियान में पुरोहित शुरूआत से भारत सरकार की मदद कर रहे हैं। पुरोहित की मदद से वीडियो कॉल पर गीता से हुई बातचीत में उसने इशारों की जुबान में कहा, "नई जगह आकर मैं खुश हूं। मुझे ईश्वर पर पूरा विश्वास है कि वह एक दिन मुझे अपने बिछुड़े माता-पिता से मिला देगा।" पुरोहित ने बताया कि सूबे के सीधी जिले का एक मूक-बधिर युवक गीता से शादी के लिए राजी है। लेकिन युवती का दो टूक कहना है कि अभी वह घर बसाने के बारे में नहीं सोच रही है।

सांकेतिक भाषा विशेषज्ञ ने बताया कि समुदाय आधारित पुनर्वास पद्धति के अनुसार गीता की देख-रेख की जाएगी और उसके माता-पिता की तलाश नए सिरे से शुरू की जाएगी। अधिकारियों के मुताबिक अब तक देश के अलग-अलग इलाकों के 10 से ज्यादा परिवार गीता को अपनी लापता बेटी बता चुके हैं। लेकिन सरकार की जांच में इनमें से किसी भी परिवार का मूक-बधिर लड़की पर दावा साबित नहीं हो सका है।

गलती से सीमा लांघने के कारण गीता करीब 20 साल पहले पाकिस्तान पहुंच गई थी। गीता को करीब 20 साल पहले पाकिस्तानी रेंजर्स ने लाहौर रेलवे स्टेशन पर समझौता एक्सप्रेस में अकेले बैठा हुआ पाया था। मूक-बधिर लड़की की उम्र उस समय कथित तौर पर सात या आठ साल की थी। भारत वापसी से पहले वह कराची के परमार्थिक संगठन "ईधी फाउंडेशन" के आश्रय स्थल में रह रही थी। तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के विशेष प्रयासों के कारण वह 26 अक्टूबर 2015 को स्वदेश लौट सकी थी। इसके अगले ही दिन उसे इंदौर में गैर सरकारी संस्था के आवासीय परिसर भेज दिया गया था। तब से वह प्रदेश सरकार की देख-रेख में इसी परिसर में अन्य मूक-बधिरों के साथ रहकर पढ़ाई कर रही थी।

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