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नवजात को किया मृत घोषित, अंतिम संस्कार के पहले जिंदा हुआ

लापरवाही की हैरान कर देने वाली एक घटना में केंद्र सरकार के एक अस्पताल के कर्मचारियों ने एक नवजात को कथित तौर पर मृत घोषित कर दिया लेकिन अंतिम संस्कार के पहले उसे जिंदा पाया गया।

India TV News Desk
Published : June 19, 2017 6:58 IST
Newborn declared dead alive before funeral
Newborn declared dead alive before funeral

नयी दिल्ली: लापरवाही की हैरान कर देने वाली एक घटना में केंद्र सरकार के एक अस्पताल के कर्मचारियों ने एक नवजात को कथित तौर पर मृत घोषित कर दिया लेकिन अंतिम संस्कार के पहले उसे जिंदा पाया गया। एक पुलिस अधिकारी ने पहले बताया था कि बच्चे की मौत हो गयी लेकिन बाद में दावा किया कि अस्पताल में एक दूसरा मामला हुआ और गलती से इसे वह मामला समझा लिया गया। पहचान नहीं बताए जाने का अनुरोध करते हुए अधिकारी ने बताया कि बच्चा जिंदा है। घटना सफदरजंग अस्पताल में हुयी जब बदरपुर की एक निवासी ने आज सुबह एक शिशु को जन्म दिया। अस्पताल के कर्मचारियों को बच्चे में कोई हरकत नजर नहीं आयी। (अबू सलेम ने यूरोप कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लौटना चाहता है पुर्तगाल)

बच्चे के पिता रोहित ने कहा, डॉक्टर और नर्सिंग कर्मचारियों ने बच्चे को मृत घोषित कर शव को एक पैक में बंद कर उस पर मोहर लगा दी और अंतिम संस्कार के लिए हमें थमा दिया। मां की हालत ठीक नहीं थी तो वह अस्पताल में ही भर्ती है जबकि पिता और परिवार के अन्य सदस्य शव को लेकर घर आए और अंतिम संस्कार की तैयारी शुरू कर दी। अचानक रोहित की बहन ने पैक में कुछ हरकत महसूस की और जब उसे खोला गया तो बच्चे की धड़कन चल रही थी और वह हाथ पैर चला रहा था। तुरंत पीसीआर को फोन किया गया और बच्चे को अपोलो अस्पताल भेजा गया जहां से उसे फिर सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया।

स्तब्ध अभिभावकों ने मामले को लेकर पुलिस का दरवाजा खटखटाया है। रोहित ने कहा, वे इतने गैर जिम्मेदार कैसे हो सकते हैं और जिंदा बच्चे को मृत घोषित कर सकते हैं अगर हमने समय रहते बंद पैक को नहीं खोला होता तो मेरा बच्चा वास्तव में मर गया होता और हमें सच्चाई कभी पता नहीं चलती। अस्पताल की तरफ से यह घोर लापरवाही है और दोषियों को दंडित किया जाना चाहिए। सफदरजंग अस्पताल प्रशासन ने मामले की जांच का आदेश दिया है।

सफदरजंग अस्पताल में चिकित्सा अधीक्षक ए के राय ने बताया, महिला ने 22 हफ्ते के एक समय पूर्व बच्चे को जन्म दिया। डब्ल्यूएचओ के दिशा-निर्देश के मुताबिक 22 हफ्ते के पहले और 500 ग्राम से कम वजन का बच्चा जीवित नहीं रहता। जन्म के बाद बच्चे में कोई हरकत नहीं थी और सन प्रणाली भी नहीं चल रही थी। उन्होंने कहा, हमने जांच करने का आदेश दिया है कि क्या बच्चे को मृत घोषित करने और उसे अभिभावकों को सौंपने से पहले सही से जांच की गयी कि वह जीवित था। एक डॉक्टर के मुताबिक ऐसे बच्चों को मृत घोषित करने के पहले करीब एक घंटे तक निगरानी में रखा जाता है।

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