कोच्चि: अंडमान निकोबार और पूर्वोत्तर भारत में पेडों पर रहने वाले मेंढक की नई प्रजाति का पता चला है। अनुसंधानकर्ताओं द्वारा गुरुवार को दी गई जानकारी के मुताबिक, इस तरह के मेंढक म्यांमार, थाईलैंड, मलयेशिया, इंडोनेशिया, वियतनाम, लाओस और कंबोडिया समेत दक्षिणी जीन में भी पाए जाते हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एस डी बीजू की अगुवाई में भारत, चीन, इंडोनेशिया और थाईलैंड के अनुसंधानकर्ताओं के दल ने कहा कि यह पहली बार है कि भारत के अंडमान द्वीपोसमूह में पेड़ों पर रहने वाली मेढ़क की प्रजाति रोहानिक्सॉलस (Rohanixalus) का पता चला है।
प्रोफेसर बीजू ने बताया कि मेंढक का यह नाम श्रीलंका के जीव वर्गीकरण विज्ञानी रोहन पेथियागोडा के नाम पर रखा गया है। जीवविज्ञान की अंतरराष्ट्रीय पत्रिका ‘जूटाक्सा’ के वर्तमान अंक में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है, ‘अंडमान के उभयचर प्राणियों का हाल के वर्षों में लगातार सर्वेक्षण किया गया लेकिन इन द्वीपो पर अब तक रैकोफोराइड फैमिली का पता नहीं चला। लेकिन हैरानी की बात है कि उत्तरी और मध्य अंडमान निकोबार में पेड़ों पर रहने वाले मेंढक की प्रजाति सामान्य है।’
बीजू ने एक बयान में कहा कि अंडमान द्वीपों पर पेड़ पर पाये जाने वाले मेढक का मिलना अप्रत्याशित है और यह फिर भारत जैसे विशाल, विविधता वाले देश में उपयुक्त दस्तावेजीकरण के लिए जलीय जीवों के सर्वेक्षण एवं अन्वेषण के महत्व को रेखांकित करता है। पत्रिका में दी गई जानकारी के मुताबिक, ये मेंढक आकार में काफी छोटे होते हैं और इनकी लंबाई ज्यादा से ज्यादा 2-3 सेंटीमीटर तक होती है। इस प्रजाति के मेंढक के अंडों का रंग हल्का हरा होता है।