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नेताजी की मौत विमान दुर्घटना में नहीं हुई थी: राजश्री चौधरी

 नेताजी सुभाषचंद्र बोस की पुण्यतिथि 18 अगस्त को मनाई जाएगी। ऐसा माना जाता है कि उनकी अस्थियों को जापान के एक मंदिर में सुरक्षित रखा गया है जिनका डीएनए टेस्ट कराने और भारत वापस लाए जाने की बात पर चर्चा जोरों पर है।

Written by: IANS
Published on: August 16, 2020 21:26 IST
Netaji was not killed in a plane crash says Rajshri Chaudhary । नेताजी की मौत विमान दुर्घटना में नही- India TV Hindi
Image Source : PTI नेताजी की मौत विमान दुर्घटना में नहीं हुई थी: राजश्री चौधरी

कोलकाता. नेताजी सुभाषचंद्र बोस की पुण्यतिथि 18 अगस्त को मनाई जाएगी। ऐसा माना जाता है कि उनकी अस्थियों को जापान के एक मंदिर में सुरक्षित रखा गया है जिनका डीएनए टेस्ट कराने और भारत वापस लाए जाने की बात पर चर्चा जोरों पर है। IANS ने बोस की पौत्री राजश्री चौधरी से बात की। वह अखिल भारत हिंदू महासभा की राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं।

प्रश्न: नेताजी के निधन को लेकर बढ़ते विवादों के बीच पिछले साल उनकी बेटी अनिता बोस फाक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील कीं कि वह जापान के रनकोजी मंदिर में रखी अस्थियों का डीएनए टेस्ट सुनिश्चित कराएं। क्या आप मानती हैं कि इससे नेताजी के अचानक गायब होने को लेकर कोई विश्वसनीय कड़ी मिल पाएगी? क्या आप विमान दुर्घटना होने की बात को सही मानती है?

उत्तर: विमान दुर्घटना होने की बात को पहले ही अमान्य करार दिया जा चुका है। इसलिए अस्थियों और इस बात का तो फिर कोई सवाल ही नहीं उठता। क्रांतिकारी वीरेंद्रनाथ चट्टोपाध्याय के पुत्र श्री निखिल चट्टोपाध्याय सहित कुछ विवर्गीकरण फाइलों के मुताबिक, नेताजी इसके बाद भी 1968 में ओम्स्क में कुछ लोगों से मिले थे।

दिल्ली में प्रधानमंत्री के कार्यालय (पीएमओ) की फाइल में जारी एक क्लासीफाइड के मुताबिक, 1966 से 1991 के बीच मॉस्को में रह रहे लेखक-पत्रकार नरेंद्रनाथ सिंकदार द्वारा जारी एक हलफनामे में इस बात का दावा किया गया था कि विमान दुर्घटना में कथित तौर पर उनकी मौत हो जाने की बात के सामने आने के 23 साल बाद चट्टोपाध्याय और उनकी पत्नी साइबेरियाई शहर में नेताजी से मिले थे। 2000 में मुखर्जी आयोग के दाखिले से पहले सिंकदार के हलफनामे में चट्टोपाध्याय के हवाले से कहा गया था कि बोस रूस में छिपे हुए थे क्योंकि उन्हें भारत में युद्ध अपराधी के तौर पर उन पर मुकदमा चलाए जाने का डर था।

18 अगस्त, 1945 के बाद रेडियो में कई भाषण दिए गए। सत्ता समझौते के हस्तांतरण के प्रस्ताव में, नेताजी के मुकदमे पर, अगर वह पकड़े गए तो इस पर वॉल्यूम -6, पृष्ठ संख्या: 138, 139 और 140 में चर्चा की जा रही थी। अंत में कहा गया कि वह जैसे रह रहे हैं, उन्हें वैसे ही रहने दो और उन्हें आत्मसमर्पण करने के लिए मत कहो। डॉ. राधाकृष्णन जैसे नेता उनसे रूस में मिले, मुथुरमलिंगम थेवर उनसे चीन में मिले, इससे भी बढ़कर नेताजी के बड़े भाई सुरेश चंद्र बोस की असहमति रिपोर्ट में यह बात कही गई है कि उनके भाई की मौत किसी विमान दुर्घटना में नहीं हुई है क्योंकि टाइहाकु से न तो कोई विमान उड़ा था और न ही वहां किसी विमान की लैंडिंग हुई थी।

प्रश्न: क्या आपको लगता है कि भारत सरकार को जापान के उस मंदिर से राख को वापस लाने की पहल करनी चाहिए? इससे रहस्य को सुलझाने में किस तरह से मदद मिलेगी?

उत्तर: सरकार को न्यायमूर्ति मुखर्जी जांच आयोग को फिर से शुरू करनी चाहिए जो कई मायनों में अधूरी है। इसे स्पष्टीकरण के साथ पूरा करने की अनुमति देनी चाहिए। फिर जो तय होना है वह होगा।

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