नई दिल्ली: राष्ट्रीय महिला आयोग ने महिलाओं के खिलाफ हुए अपराधों की ऑनलाइन शिकायतों के दो तुलनात्मक आंकड़े जारी किए हैं। एक में आयोग ने 2 मार्च से 8 मार्च के बीच हुए अपराधों का ब्यौरा दिया है जबकि दूसरे में 23 मार्च से 1 अप्रैल तक हुए अपराधों का ब्यौरा है। इन दोनों समय अवधियों के आंकड़ें इसलिए तुलनात्मक हो जाते हैं क्योंकि 2 मार्च से 8 मार्च तक देश में सामान्य स्थितियां थीं जबकि 23 मार्च तक देश में कई जगहों पर लॉकडाउन लागू हो चुका था, जो बाद में पीएम मोदी के आदेश पर 25 मार्च से पूरे देश में 21 दिनों के लिए लागू कर दिया गया।
राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा जारी दोनों तुलनात्मक आंकड़ों के मुताबिक, लॉकडाउन के दौरान आयोग के पास महिलाओं के खिलाफ हुए अपराधों की शिकायतों में इजाफा हुआ है। आयोग के मुताबिक, 23 मार्च से 1 अप्रैल तक महिलाओं के खिलाफ हुए 257 अपराधों की ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराई गई, जिसमें से 237 में एक्शन लिया गया जबकि 20 शिकायतें पेंडिंग में हैं। वहीं, इस दौरान दर्ज कराई गई 31 शिकायतों का निपटारा कर उन्हें बंद कर दिया गया है।
इन 257 शिकायतों में सबसे ज्यादा 77 शिकायतें "राइट टु लिव विद डिग्निटी" यानि "सम्मान से जीने का अधिकार" के तहत कराई दर्ज कराई गईं जबकि दूसरी सबसे ज्यादा शिकायतें घरेलू हिंसा की दर्ज कराई गईं। इन शिकायतों की संख्या 69 है। वहीं, दूसरी ओर 2 मार्च से 8 मार्च तक महिलाओं के खिलाफ हुए 116 अपराधों की ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराई गई और इन सभी पर एक्शन भी लिया गया। इस दौरान दर्ज कराई गई 10 शिकायतों का निपटारा कर उन्हें बंद भी कर दिया गया है।
2 मार्च से 8 मार्च तक के आंकड़ों के मुताबिक, इस दौरान भी सबसे ज्यादा मामले "सम्मान से जीने का अधिकार" के तहत दर्ज कराए गए। इससे जुड़ी 35 शिकायतें की गई। वहीं, दूसरी सबसे ज्यादा शिकायतें इस दौरान भी घरेलू हिंसा की ही दर्ज कराई गईं। इस अवधि में "सम्मान से जीने का अधिकार" के तहत 35 जबकि घरेलू हिंसा की 30 शिकायतें आईं।