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पिछले 20 साल में नक्सली हिंसा ने ली 12,000 से ज्यादा लोगों की जान

माओवादी हिंसा में पिछले दो दशक से ज्यादा वक्त में 12,000 लोगों की जान गई है जिसमें 2,700 सुरक्षाकर्मी हैं।

Reported by: Bhasha
Updated : July 09, 2017 20:40 IST
Representative Image | PTI Photo
Representative Image | PTI Photo

नई दिल्ली: माओवादी हिंसा में पिछले दो दशक से ज्यादा वक्त में 12,000 लोगों की जान गई है जिसमें 2,700 सुरक्षाकर्मी हैं। गृह मंत्रालय द्वारा तैयार किए गए आंकड़ों के मुताबिक, मारे गए लोगों में 9,300 ऐसे मासूम नागरिक शामिल हैं जिनकी या तो नक्सलियों ने पुलिस का मुखबिर बताकर हत्या कर दी या वे सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच की गोलीबारी में आ गए थे। हालांकि सुरक्षा बलों पर वक्त-वक्त पर होते हमलों के बावजूद पिछले 3 सालों में नक्सल हिंसा में 25 फीसदी की गिरावट आई है।

गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि मई 2011 से अप्रैल 2014 की तुलना में मई 2014 से अप्रैल 2017 में वाम चरमपंथ से संबंधी हिंसा में 25 प्रतिशत की गिरावट आई है और सुरक्षा बलों के हताहत होने वाली संख्या में 42 फीसदी कम हुई है। बीती 24 अप्रैल को CRPF की रोड ओपनिंग पार्टी पर हमले में 25 कर्मियों की जान गई थी जो 2010 के अप्रैल में छात्तीसगढ़ के ही दंतेवाड़ा में हुए हमले के बाद से सबसे घातक है। उस हमले में CRPF के 76 जवानों की मौत हुई थी। अधिकारी ने कहा कि नक्सल कैडर को खत्म करने की दर में 65 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है जबकि चरमपंथियों द्वारा आत्मसमर्पण करने की दर 185 फीसदी बढ़ी है।

गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि फिलहाल माओवादियों की 90 फीसदी गतिविधियां 35 जिलों में सीमित हैं। हालांकि, उनकी 10 राज्यों के 68 जिलों के कुछ इलाकों में पकड़ है। वाम चरमपंथी हिंसा को काबू करने के लिए केंद्र ने नेशनल पॉलिसी और ऐक्शन प्लान शुरू किया था जिसमें सुरक्षा, विकास और स्थानीय समुदायों के अधिकारों को सुनिश्चित करना शामिल है। इस योजना के तहत, पिछले 3 सालों में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में 307 किलेबंद थानों का निर्माण कराया गया है।

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