नयी दिल्ली: चीन द्वारा आक्रामक तरीके से नौसेना का विस्तार किये जाने की पृष्ठभूमि में नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने मंगलवार को अपने बल के लिये ज्यादा बजटीय आवंटन की आवाज उठाते हुए रक्षा आवंटन में नौसेना की हिस्सेदारी 2012-13 के 18 फीसद से घटकर 2018-19 में 13 फीसद रह जाने पर चिंता जताई। भारतीय नौसेना द्वारा सितंबर में भारत के विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र से चीनी पीएलए के पोतों को खदेड़े जाने के संदर्भ में नौसेना प्रमुख ने जोर देकर कहा कि ऐसी गतिविधियों से सख्ती से निपटा जाएगा। नौसेना की दीर्घकालीन योजना है कि उसके पास तीन विमानवाहक पोत हों जिससे दो पोत हिंद महासागर में तैनाती के लिये हमेशा तैयार रहें।
नौसेना दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित संवाददाता सम्मेलन में नौसेना प्रमुख ने कहा कि स्वदेश में विकसित पहला विमानवाहक पोत 2022 तक पूरी तरह परिचालन में आ जाएगा और उस पर मिग-29 के विमानों का बेड़ा तैनात होगा। उन्होंने कहा कि योजना के मुताबिक दूसरा स्वदेशी विमानवाहक पोत 65 हजार टन कोटाबार विमानवाही पोत होगा जिसमें इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन होगा तथा जल्द ही इस परियोजना की मंजूरी के लिये नौसेना सरकार से मंजूरी के लिये संपर्क करेगी। नौसेना फिलहाल रूसी मूल के आईएनएस विक्रमादित्य का संचालन कर रही है जो भारत का एक मात्र विमान वाहक पोत है।
हिंद महासागर क्षेत्र में चीनी घुसपैठ पर एडमिरल सिंह ने कहा कि किसी भी समय सात से आठ चीनी पोत आम तौर पर क्षेत्र में मौजूद रहते हैं। यह पूछे जाने पर कि मिलन नौसैनिक अभ्यास के लिये 41 अन्य देशों के साथ चीन को आमंत्रित क्यों नहीं किया गया, उन्होंने कहा कि समान विचार वाले राष्ट्र इसका हिस्सा होंगे। एडमिरल सिंह ने राष्ट्र को यह भी आश्वस्त किया कि राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिये नौसेना पूरी तरह तैयार है। प्रस्तावित चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) पर उन्होंने कहा कि रणनीतिक योजनाओं को लागू करने के लिये उसके पास पर्याप्त शक्तियां होनी चाहिए।
नौसेना के आधुनिकीकरण योजना के संदर्भ में एडमिरल सिंह ने कहा कि यह तथ्य है कि पिछले पांच वर्षों में नौसेना का वार्षिक बजट आवंटन 18 प्रतिशत से घटकर 13 प्रतिशत पर आ गया है। उन्होंने कहा, ‘‘उम्मीद है कि हमें कुछ और रकम मिलेगी।’’ माना जा रहा है कि बल के आधुनिकीकरण के लिये पर्याप्त रकम की आवश्यकता को लेकर नौसेना पहले ही प्रधानमंत्री कार्यालय को संदेश भेज चुकी है। पड़ोस की चुनौतियों के संदर्भ में उन्होंने कहा कि क्षेत्र में किसी दूसरे देश की कार्रवाई का भारत पर असर नहीं पड़ना चाहिए, और अगर असर पड़ता है तो सुरक्षा बल उससे उचित तरीके से निपटेंगे।
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिति के बारे में पूछे जाने पर नौसेना प्रमुख ने कहा कि सुरक्षित समुद्र और नियम आधारित व्यवस्था को बढ़ावा देने के लिये साझा हितों को सुनिश्चित करने की खातिर भारतीय नौसेना समान विचार वाले राष्ट्रों के साथ मिलकर काम करने के लिये तैयार है। उन्होंने कहा कि भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच बने गठजोड़ की फिलहाल हिंद-प्रशांत क्षेत्र में कोई सैन्य भूमिका नहीं है। नौसेना प्रमुख ने कहा कि भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में संतुलन कायम करने की भूमिका निभा रहा है।
चीनी नौसेना के व्यापक विस्तार के बारे में पूछे जाने पर एडमिरल सिंह ने कहा कि वे अपनी क्षमता के अनुकूल बढ़ रहे हैं और “हम अपनी क्षमता के हिसाब से चल रहे हैं।” यह पूछे जाने पर कि क्या चीन के साथ संयुक्त अभ्यास की कोई योजना है, एडमिरल सिंह ने कहा कि वह ऐसे फैसले लेने के लिये अधिकृत नहीं हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यह मेरे अधिकार क्षेत्र से बाहर है।’’