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झण्डा ऊंचा रहे हमारा, आज है हमारे तिरंगे राष्ट्रीय ध्वज का जन्मदिन

आज हमारे राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा झंडे का जन्मदिन है, लेकिन बहुत ही कम लोगों को अपने राष्ट्रीय ध्वज के बारे में पूरी जानकारी है। 22 जुलाई 1947 को "तिरंगा" भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप मे अंगीकार किया गया था l '

Written by: India TV News Desk
Published on: July 22, 2017 11:56 IST
National Flag- India TV Hindi
National Flag

आज हमारे राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा झंडे का जन्मदिन है, लेकिन बहुत ही कम लोगों को अपने राष्ट्रीय ध्वज के बारे में पूरी जानकारी है। 22 जुलाई 1947 को "तिरंगा" भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप मे अंगीकार किया गया था l 'तिरंगा' भारत का राष्ट्रीय ध्वज है जो तीन रंगों से बना है इसलिए इसे तिरंगा कहा जाता है। तिरंगे में सबसे ऊपर गहरा केसरिया, बीच में सफ़ेद और सबसे नीचे गहरा हरा रंग बराबर अनुपात में है। ध्‍वज को साधारण भाषा में 'झंडा' भी कहा जाता है। झंडे की चौड़ाई और लम्‍बाई का अनुपात 2:3 है। सफ़ेद पट्टी के केंद्र में गहरा नीले रंग का चक्र है, जिसका प्रारूप अशोक की राजधानी सारनाथ में स्थापित सिंह के शीर्षफलक के चक्र में दिखने वाले चक्र की भांति है। चक्र की परिधि लगभग सफ़ेद पट्टी की चौड़ाई के बराबर है। चक्र में 24 तीलियाँ हैं।

देश के आजाद होने के बाद संविधान सभा में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 22 जुलाई 1947 में वर्तमान तिरंगे झंडे को राष्ट्रीय ध्वज घोषित किया था। सबसे पहले देश के राष्ट्रीय ध्वज की पेशकश 1921 में महात्मा गांधी ने की थी। महात्मा गांधी ने दो रंग के झंडे को राष्ट्रीय ध्वज बनाने की बात कही थी। इस झंडे को मछलीपट्टनम के पिंगली वैंकैया ने बनाया था। 

इसके बाद स्वतंत्रता के आंदोलन के अंतर्गत खिलाफत आंदोलन में तीन रंगों के स्वराज झंडे का प्रयोग किया गया। खिलाफत आंदोलन में मोतीलाल नेहरू ने इस झंडे को थामा और बाद में कांग्रेस ने 1931 में स्वराज झंडे को ही राष्ट्रीय ध्वज की स्वीकृति दी। स्वराज झंडे पर आधारित तिरंगे झंडे के नियम-कानून फ़्लैग कोड ऑफ इंडिया द्वारा बनाए गए जिसमें निर्धारित था कि झंडे का प्रयोग केवल स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर किया जाएगा।

सन्‌ 1947 से वर्तमान तिरंगा ध्वज को स्वतंत्र भारत का राष्ट्रीय ध्वज स्वीकार किया गया। इसके बाद 2002 में नवीन जिंदल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई। जिसके पक्ष में सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार को को निर्देश दिए कि अन्य दिनों में झंडे का प्रयोग नियंत्रित रुप में हो सकता है। इसके बाद 2005 में जो सुदार हुआ उसके तहत कुछ परिधानों में भी तिरंगे झंडे का प्रयोग होने लगा।

भारतीय ध्वज संहिता के प्रावधान के अनुरूप नागरिकों एवं बच्चों से शासन की अपील है कि वे केवल कागज के बने राष्ट्रीय ध्वज का ही उपयोग करें। साथ ही कागज के झंडों को समारोह संपन्न होने के बाद न विकृत किया और न ही ज़मीन पर फ़ेंका जाए।

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