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AMU में दलित आरक्षण पर फैसला 9 अगस्त को लेगा राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग!

पिछले कई दिनों से अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में दलित छात्रों के आरक्षण को लेकर काफी बवाल हुआ है।

Written by: Abhishek Upadhyay
Published : August 03, 2018 14:01 IST
Final decision on Dalit reservation in Aligarh Muslim University on August 9 | PTI File
National SC Commission to take final decision on Dalit reservation in Aligarh Muslim University on August 9 | PTI File

नई दिल्ली: पिछले कई दिनों से अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में दलित छात्रों के आरक्षण के मुद्दे पर बवाल मचा हुआ है। इस बारे में राजनेताओं से लेकर शिक्षाविदों में भी अलग-अलग राय देखने को मिली है। इसी बीच एएमयू में दलित आरक्षण पर 9 अगस्त को फैसला हो सकता है। इस दिन मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सचिव, सामाजिक कल्याण सचिव, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के चेयरमैन और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति के साथ आयोग की मीटिंग होनी है। इस मीटिंग के बाद एएमयू में दलित आरक्षण पर फैसला लिया जा सकता है।

दलित छात्रों के लिए आरक्षण नहीं

गौरतलब है कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में दलित छात्रों को अन्य केंद्रीय विश्वविद्यालयों की तरह आरक्षण का लाभ नहीं दिया जाता है। यूनिवर्सिटी का दावा है कि एएमयू संविधान के अनुच्छेद 30 के अनुरूप कार्य करता है, जिसमें धार्मिक और भाषायी अल्पसंख्यकों को अपने शिक्षण संस्थान खोलने और उन्हें संचालित करने की इजाजत दी गई है। यूनिवर्सिटी का कहना है कि इसे अनुच्छेद 15 (5) के तहत अल्पसंख्यक संस्थानों को अनुच्छेद 30 के अन्तर्गत संवैधानिक आरक्षण से छूट प्राप्त है।

‘एएमयू नहीं है अल्पसंख्यक संस्थान’
इससे पहले 2005 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा था कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी एक अल्पसंख्यक विश्वविद्यालय नहीं है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति अरुण टंडन ने अपने फैसले में केंद्र सरकार के 1981 के संशोधन अधिनियम को भी रद्द करते हुए कहा था कि यह संविधान की भावना के अनुरूप नहीं है। AMU में दलितों-पिछड़ों को आरक्षण के मुद्दे पर राष्ट्रीय आयोग की उत्तर प्रदेश इकाई ने विश्वविद्यालय को नोटिस भेजकर 8 अगस्त तक जवाब मांगा है और 9 अगस्त को फुल कमिशन की मीटिंग बुलाई है।

‘क्यों आरक्षण नहीं दे सकती एएमयू’
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष डॉ. राम शंकर कठेरिया ने दावा किया कि पिछले 10 सालों में एएमयू को 7 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम दी जा चुकी है। उन्होंने सवाल किया कि जब एएमयू अन्य केंद्रीय विश्वविद्यालयों की तरह फंड लेती है तो संविधान की व्यवस्थाओं के अनुरूप वह दलितों को आरक्षण क्यों नहीं दे सकती? कठेरिया ने कहा कि जब भारत आजाद हुआ था तब सारे विश्वविद्यालयों को केंद्रीय विश्वविद्यालयों में बदल दिया गया था, तो एएमयू कहां से अलग है?

9 अगस्त को होगा फैसला
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सचिव, सामाजिक कल्याण सचिव, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के चेयरमैन और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति को समन भेजा है। इन सभी को 9 अगस्त को राष्ट्रीय अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग के सामने पेश होना है, और इसी दिन आयोग तय करेगा कि एएमयू में दलित छात्रों के प्रवेश पर आरक्षण होगा या नहीं। सूत्रों के मुताबिक, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ने 9 अगस्त को होने वाली मीटिंग से पहले राष्ट्रीय अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग के सामने चिट्ठी लिखकर अपना पक्ष रखा है। हालांकि बताया जा रहा है कि चिट्ठी में एएमयू खुद के अल्पसंख्यक विश्वविद्यालय होने का सबूत नहीं दे सका है।

वीडियो: अल्पसंख्यक दर्जा साबित करने में नाकाम रहा एएमयू: राम शंकर कठेरिया

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