नई दिल्ली: नेशनल हेराल्ड और यंग इंडियन कंपनी के मामले में अब सोनिया गांधी और राहुल गांधी की मुश्किलें और बढ़ सकती है। आज इनकम टैक्स मामले में बड़ी सुनवाई है। दिल्ली हाई कोर्ट में इसे रोकने की अर्जी लगाई गई थी लेकिन कोर्ट ने साफ कहा था कि जब तक मामले की सुनवाई पूरी नहीं होती तब तक कोर्ट ना तो इनकम टैक्स विभाग को नोटिस दे सकता है और ना ही इनकम टैक्स विभाग के आदेश पर स्टे लगाकर राहुल गांधी को प्रोटेक्शन दे सकता है। वहीं बीजेपी इस मामले में राहुल गांधी को लगातार घेर रही है। बीजेपी का आरोप है कि इनकम टैक्स की कार्रवाई की वजह से ही राहुल केंद्र सरकार पर राफेल डील में गड़बड़ी का आरोप लगा रहे हैं।
वहीं राहुल गांधी के वकील की तरफ से कोर्ट से गुहार लगाई गई है कि इस मामले की रिपोर्टिंग मीडिया में ना की जाए लेकिन कोर्ट ने राहुल गांधी के वकील की इस अपील को ठुकरा दिया। अब आज जब इस मामले की सुनवाई है तब बीजेपी ने एक बार फिर से राहुल पर हमला बोला है। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इंडिया टीवी के खास कार्यक्रम जय हिंद में पूछा कि राहुल गांधी पचास लाख देकर पांच हजार करोड़ के मालिक कैसे बन गए।
इस मामले में बीजेपी शुरू से ही कहती रही है कि ये पूरा का पूरा मामला इनकम टैक्स की चोरी का है और यही वजह है कि राहुल गांधी इससे बचने के लिए मोदी सरकार पर राफेल डील में गड़बड़ी का आरोप लगाते रहते हैं जबकि कांग्रेस कहती है कि ये कोई टैक्स चोरी का मामला है नहीं। ये तो एक सियासी साजिश है।
दरअसल, नेशनल हेराल्ड केस तब सामने आया जब सुब्रमण्यम स्वामी ने साल 2012 में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ धोखाधड़ी और दूसरे मामलों के तहत कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस याचिका में सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर कई आरोप लगाए गए थे। साल 2008 में नेशनल हेराल्ड अखबार चलानेवाली कंपनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड पर 90 करोड़ का कर्ज चढ़ गया था जिसकी वजह से अखबार को बंद करना पड़ा। एजीएल को कर्जमुक्त करने के लिए कांग्रेस नेतृत्व ने पार्टी कोष से 90 करोड़ का कर्ज दिया।
कर्ज देते वक्त सोनिया गांधी कांग्रेस की अध्यक्ष थीं और उस समय सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीज ने मिलकर पांच लाख की राशि से एक नई कंपनी यंग इंडिया बनाई। इस कंपनी में सोनिया और राहुल गांधी की 38-38 फीसदी हिस्सेदारी थी और बाकी दोनों नेताओं की 12-12 फीसदी हिस्सेदारी थी। यंग इंडिया ने एसोसिएटेड जर्नल्स का कर्ज चुकाने के लिए शर्त रखी थी कि 90 करोड़ के कर्ज के बदले एसोसिएटेड जर्नल्स 10-10 रुपये कीमत के 9 करोड़ शेयर यंग इंडिया के नाम करेगा।
9 करोड़ के शेयर एसोसिएटेड जर्नल्स की कुल संपत्ति के 99 फीसदी के बराबर थे। इस सौदे की वजह से सोनिया गांधी और राहुल गांधी की कंपनी यंग इंडिया को एसोसिएटेड जर्नल्स की संपत्ति का मालिकाना हक मिल गया।
कर विभाग के अनुसार, राहुल गांधी के वर्ष 2011-12 के कर आकलन को फिर से खोलने का फैसला किया गया क्योंकि उन्होंने उसमें यह जानकारी नहीं दी कि वह 2010 से कंपनी ‘यंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड’ के निदेशक थे। विभाग के अनुसार, राहुल की यंग इंडिया में जितनी शेयर हिस्सेदारी है उसके मुताबिक उनकी आय 154 करोड़ रुपये होती है न कि 68 लाख रुपये जैसा कि पहले आकलन किया गया। आयकर विभाग तात्कालिक मामले में आयकर कानून की धारा 147 को लागू करता है। इस धारा के तहत उस आय को कर नेट में लाया जाता है जो कि वास्तविक आकलन के दौरान शामिल नहीं थी। कर विभाग पहले ही यंग इंडिया को आकलन वर्ष 2011- 12 के लितये 249.15 करोड़ रुपये का मांग नोटिस जारी कर चुका है।