नई दिल्ली: हर बार मानसून के धोखे से निपटने के लिए केंद्र सरकार इस बार लीक से हटकर कदम उठाने की संभावना तलाश रही है। अभी तक हर बार सूखा होने पर किसानों को सस्ती दर पर और ज्यादा डीजल देने का तरीका आजमाया जाता था, ताकि वह पर्याप्त सिंचाई कर सकें।
इस बार सरकार यह सोच रही है कि डीजल के बजाय किसानों को बिजली की आपूर्ति बढ़ा दी जाए। बिजली मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक शुक्रवार को सूखे से निपटने के लिए होने वाली उच्चस्तरीय बैठक में यह प्रस्ताव किया जाएगा।
फिलहाल देश में बिजली की कमी नहीं है। जिन हिस्सों में बिजली की कमी हो रही है, वह राज्यों की तरफ से कम बिजली खरीदने की वजह से हो रही है। हालात यह है कि मांग नहीं होने की वजह से चार दर्जन से ज्यादा थर्मल पावर प्लांट अपनी क्षमता से बहुत ही कम बिजली बना रहे हैं या बिल्कुल ही नहीं बना रहे हैं।
यही वजह है कि सरकार सोच रही है कि जब देश में बिजली पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है तो क्यों नहीं उसका इस्तेमाल किसानों की मदद के लिए किया जाए। यह डीजल की आपूर्ति बढ़ाने से आसान भी है।
सिंचाई को बढ़ाई जाएगी बिजली आपूर्ति
डीजल की आपूर्ति बढ़ाने की प्रक्रिया लंबी होती है। इसमें राज्यों के प्रभावित इलाकों का आकलन होता है, फिर उसके हिसाब से डीजल की आपूर्ति की जाती है। डीजल जब तक किसानों तक पहुंचाया जाता है, तब तक काफी देरी भी हो जाती है।
विगत में इसमें कई तरह की धांधलियों का भी पता चला है। इसके उलट बिजली की आपूर्ति बढ़ाना बेहद आसान है। सिंचाई के लिए दी जाने वाली बिजली की आपूर्ति दो से चार घंटे तक बढ़ा दी जाएगी। इसका बोझ केंद्र व राज्य मिलकर उठाएंगे।