नयी दिल्ली: भारत में चीनी दूतावास ने सिक्किम में नाथूला दर्रा के कैलाश मानसरोवर तीर्थ यात्रियों के लिए अब खुले नहीं होने की ओर इशारा करते हुए कहा कि चीन नाथुला दर्रा के जरिए यात्रा की योजना बनाने वाले कैलाश मानसरोवर के तीर्थयात्रियों के लिए अन्य मार्गों के जरिए वैकल्पिक प्रबंधों की संभावना पर वार्ता करने के लिए तैयार है। भारत में चीनी दूतावास की प्रवक्ता शीए लियान ने एक बयान में कहा, लिपुलेख दर्रा के जरिए आधिकारिक यात्रा और ल्हासा एवं पुरांग के जरिए गैर आधिकारिक यात्रा अब भी सामान्य है। ये भी पढ़ें: भारत और चीन में बढ़ी तल्खियां, जानिए किसके पास है कितनी ताकत
उन्होंने कहा, कैलाश मानसरोवर में भारतीयों की यात्रा चीन एवं भारत के लोगों के बीच आपसी संबंधों एवं सांस्कृतिक आदान प्रदान का अहम अंग है। दोनों पक्षों ने सहमति जताई थी कि इस साल नाथुला दर्रा के जरिए शिजांग की यात्राओं में सात जत्थों में कुल 350 यात्री हिस्सा लेंगे। उन्होंने कहा, लेकिन, यात्रियों की रवानगी से कुछ ही दिन पहले भारतीय सीमा बल चीनी क्षेत्र आ गए और उन्होंने डोकलाम में चीनी सैन्य बलों की सामान्य गतिविधियों को बाधित किया। भारतीय यात्रियों की सुरक्षित एवं परेशानीरहित यात्रा सुनिश्चित करने के लिए नाथुला दर्रा के जरिए शिजांग में उनके प्रवेश को रोकना पड़ा।
प्रवक्ता ने यह भी बताया कि चीनी पक्ष ने राजनयिक माध्यम से भारतीय पक्ष को यह अधिसूचना दे दी है। इस बयान में आरोप लगाया गया है कि भारतीय सीमा बलों ने चीनी क्षेत्र को पार किया जबकि भारत का कहना है कि वह चीन की हालिया गतिविधियों से बहुत चिंतित है और उसने चीनी सरकार को यह बता दिया है कि इस प्रकार के निर्माण से यथास्थिति में बहुत बदलाव आएगा और भारत पर गंभीर सुरक्षा प्रभाव पड़ेगा।
इसके बाद, चीनी दूतावास ने भी डोकलाम क्षेत्र में ताजा स्थिति पर अपने पॉलिटिकल काउंसलर ली या द्वारा दी गई जानकारी का एक वीडियो जारी किया। इस वीडियो में ली ने चीन के इस रुख को दोहराया कि क्षेत्र से भारतीय बलों की वापसी भारत एवं चीन के बीच किसी भी प्रकार की अर्थपूर्ण वार्ता की पूर्व शर्त है।
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