नयी दिल्ली। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने बुधवार को कहा कि नाक के जरिए दिए जाने वाले कोविड-19 टीके स्कूली बच्चों को देना आसान होगा जिनमें कोरोना वायरस संक्रमण ‘‘बहुत हल्का’’ होता है। प्रख्यात पल्मोनोलॉजिस्ट गुलेरिया ने यहां राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के 16वें स्थापना दिवस समारोह के दौरान उनके कर्मियों के साथ बातचीत के दौरान यह बात कही।
रणदीप गुलेरिया ने यह भी कहा कि जो लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हैं, उन्हें भी ठीक होने के लगभग चार से छह हफ्ते बाद टीके लगाए जाने चाहिए। उन्होंने कहा, "यह (कोरोना वायरस संक्रमण) बच्चों में बहुत हल्का होता है लेकिन वह संक्रामक होता है, उनसे बीमारी फैल सकती है।" उन्होंने कहा, "जो टीके आए हैं उन्हें बच्चों के लिए मंजूर नहीं की गई हैं क्योंकि बच्चों पर इसका कोई अध्ययन नहीं किया गया है लेकिन यह (टीकाकरण) एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम है और परीक्षण पूरा किया जा रहा है।"
भारत बायोटेक नाक वाले टीके की मंजूरी लेने की कोशिश कर रहा
दिल्ली स्थित एम्स के निदेशक ने कहा कि जब बच्चे नियमित रूप से स्कूल जाना शुरू कर देंगे और वे कोविड-19 से संक्रमित हो जाते हैं, तो उन्हें ज्यादा समस्या नहीं होगी, लेकिन अगर उनके साथ यह बीमारी घर पर आ जाती हैं, तो उनसे यह बीमारी उनके माता-पिता या दादा-दादी को फैल सकती है। उन्होंने कहा, ‘‘बच्चों के लिए टीके बाद में आ सकते हैं, भारत बायोटेक नाक वाले टीके की मंजूरी लेने की कोशिश कर रहा है। इस तरह का टीका बच्चों को देना बहुत आसान होगा क्योंकि यह एक स्प्रे है और सुई नहीं है और इसलिए यह अधिक आसान होगा।"
नाक का टीका स्वीकृत हो जाए तो टीका लगाना होगा आसान
गुलेरिया ने एक सवाल के जवाब में कहा, "आधे घंटे में आप एक पूरी कक्षा का टीकाकरण कर सकते हैं। इसलिए, अगर (नाक का टीका) स्वीकृत हो जाता है तो टीका लगाना और भी आसान हो जाएगा।" एनडीआरएफ कर्मियों द्वारा उनसे यह भी पूछा गया कि क्या जो व्यक्ति कोविड-19 से उबर चुका है, उसे भी टीका लगाया जाना चाहिए, तो इसपर गुलेरिया ने कहा कि हां उनके लिए भी टीके जरूरी है। उन्होंने कहा कि यह टीका ऐसे व्यक्ति के लिए फायदेमंद होगा क्योंकि यह क्षमता वर्धक के रूप में कार्य करेगा और यदि उनमें एंटी-बॉडी कम हो रही है, तो यह टीका उनमें उच्च स्तर का एंटी-बॉडी विकसित करेगा।