जींद: भारतीय किसान यूनियन (BKU) के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने कहा है कि आंदोलन को छोड़कर अब घर वापस नहीं जा सकते क्योंकि धरने पर बैठना मजबूरी बन गया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने एक छोटी-सी बात मान ली होती तो इतनी नौबत न आती। टिकैत ने कहा, ‘आज इन्हीं के स्टेट में क्या दिन हो रहा है सरकार का, कितनी छवि खराब हो रही है, हम तो यही चाहते हैं कि सरकार यह जिद्दी रवैया छोड़े और अच्छी तरह बात करे।’ वहीं, उनके भाई और राष्ट्रीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने बांगर में कहा है कि किसान की घर वापिस तब ही होगी जब तीनों कृषि कानूनों को केंद्र सरकार रद्द करेंगी।
‘घर किस मुंह से वापस जाएं’
टिकैत ने कहा, ‘हमे यह भी नहीं पता कि सरकार में जिम्मेदार कौन है। कम से कम वो समझें बात को और अपना जिद्दी रवैया छोड़कर एक माहौल बनाकर लाएं। सरकार यूं जनता का पूरा साथ नहीं पा सकती।’ BKU अध्यक्ष ने आगे कहा, ‘घर किस मुंह से वापस जाएं? 70-72 दिन हो गए तो घर वापस किस मुंह से जाएं, क्या लेकर जाएं, जनता को क्या जवाब दें?’ टिकैत ने कहा कि हम जहां से चले थे वहीं पहुंच गए। उन्होंने कहा कि तरह-तरह के आरोप लगे हैं और आरोपों से बचने के लिए बैठना लोगों की मजबूरी है। बता दें कि केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले कई हफ्ते से किसान लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं।
कंडेला में महापंचायत द्वारा 5 प्रस्ताव भी पेश किए गए जो इस प्रकार हैं:
1. तीनों कानून रद्द किए जाएं
2. एमएसपी पर कानून जामा पहनाया जाए
3. स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट को लागू किया जाए
4. किसानों का कर्जा माफ किया जाए
5. 26 जनवरी को पकड़े गए किसानों और ट्रैक्टरों को रिहा किया जाए, मुकददमे वापिस लिए जाएं।
कंडेला खाप ने दिया किसानों को समर्थन
करीब दो दशक पहले हरियाणा में किसानों का आंदोलन चलाने वाली कंडेला खाप ने कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों को अपना समर्थन दिया है।