मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश)। भारतीय किसान यूनियन के वरिष्ठ नेता नरेश टिकैत ने केन्द्र सरकार को नये कृषि कानूनों पर अपनी जिद छोड़कर किसानों की बात मानने की सलाह देते हुए सत्तारूढ़ भाजपा को शक्ति प्रदर्शन की चुनौती दी है। टिकैत ने शनिवार को मुजफ्फरनगर में आयोजित किसान पंचायत से इतर संवाददाताओं से बातचीत में कटाक्ष किया, ‘‘किसानों के आंदोलन को लेकर भाजपा एक तीर से कई निशाने साध रही है।’’ उन्होंने कहा कि सरकार अपनी जिद छोड़कर किसानों की बात मान ले। उन्होंने एक तरह से चुनौती देते हुए कहा, ‘‘सरकार ने गलत जगह हाथ डाल दिया है। यहां पर उसकी बात का कोई असर नहीं पड़ेगा।’’
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री ने गणतंत्र दिवस, मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी में हुई हिंसा के बाद शनिवार को सर्वदलीय बैठक में कहा था कि प्रदर्शनकारी किसानों के लिए उनकी सरकार का प्रस्ताव अब भी बरकरार है और बातचीत करने के लिए बस संपर्क करने भर की जरुरत है। हालांकि इससे पहले गणतंत्र दिवस की हिंसा के बाद गाजियाबाद प्रशासन ने आंदोलनकारी किसानों को प्रदर्शन स्थल खाली करने का अल्टीमेटम दे दिया था। केन्द्र की भाजपा नीत सरकार को चुनौती देते हुए नरेश टिकैत ने कहा, ‘‘सरकार हमें कमजोर न माने। हम किसी भी सूरत में (कानूनों को वापस लिए जाने से कम पर) नहीं मानेंगे। सरकार गोली चलायेगी तो वह हमारे सीने में ही लगेगी, पीठ पर नहीं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जहां तक शक्ति प्रदर्शन की बात है तो एक मैदान में भाजपा अपनी रैली कर ले। अगले दिन उसी मैदान में हम अपना कार्यक्रम करेंगे। जहां पर भाजपा की पूरी ताकत हो, उत्तर प्रदेश में रख लो या हरियाणा में रख लो, वहां भाजपा अपना शक्ति प्रदर्शन करे, तब सरकार को अपनी ताकत का अंदाजा लग जाएगा। हम उसे हर जगह फेल कर देंगे।’’
भाजपा और उत्तर प्रदेश सरकार पर कटाख करते हुए टिकैत ने कहा, ‘‘भाजपा सरकार के उत्तर प्रदेश में चार साल हो गए लेकिन उसने 10 रुपये ही गन्ना मूल्य बढ़ाया है। हमें तो अब ऐसा लगता है कि हाथी के दांत खाने के कुछ और हैं, दिखाने के कुछ और। प्रदेश सरकार हो या केंद्र सरकार हो, हमें कोई फायदा होने वाला नहीं है। किसानों ने मन बना लिया है। हम अपने तरीके से देखेंगे। हमें सरकार से मुकदमों के सिवा और कुछ नहीं मिलने वाला है।’’ उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा, ‘‘ऐसा गर्माहट का माहौल है कि कुछ भी हो सकता है। सारे भारत में आज चिंगारी है। बंगाल का चुनाव है, उस चुनाव का ध्यान करेंगे। हर साल एक-दो राज्यों में चुनाव है, यह क्या करेंगे।’’
गौरतलब है कि नवंबर के अंत से किसान केन्द्र के नए कृषि कानूनों को वापस लेने और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं। इसी सिलसिले में किसानों ने गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली में ट्रैक्टर परेड निकाला। लेकिन कई जगह उग्रता और तोड़फोड़ के कारण पुलिस के साथ किसानों की झड़प हुई और पुलिस को लाठी चार्ज और आंसू गैस के गोलों का सहारा लेना पड़ा। किसानों का एक समूह लाल किला भी पहुंच गया और वहां गुंबद पर तथा ध्वजारोहण स्तंभ पर झंडे लगा दिए। इस स्तंभ पर केवल राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराया जाता है।
इस घटना के बाद गाजियाबाद जिला प्रशासन ने गाजीपुर बॉर्डर (यूपी गेट) पर मौजूद आंदोलनकारी किसानों को जगह खाली करने की चेतावनी देते हुए कहा था कि ऐसा नहीं होने पर वह कार्रवाई करेगी। प्रशासन के इस रुख पर राकेश टिकैत ने बृहस्पतिवार को पीटीआई/भाषा को भेजे एक संदेश में कहा, "मैं आत्महत्या कर लूंगा लेकिन तब तक आंदोलन समाप्त नहीं करूंगा जब तक कि कृषि कानूनों को रद्द नहीं कर दिया जाता।" उस दौरान पत्रकारों से बातचीत करते हुए वह रो पड़े। उनके आंसुओं का असर है कि गाजीपुर बॉर्डर पर तंबुओं की संख्या लगातार बढ़ रही है औरभाकियू के अनुसार, रविवार को वहां 10,000 से ज्यादा लोग एकत्र हैं।