नई दिल्ली: कृषि मंत्री ने किसानों से शनिवार को भावुक अपील की। किसान दिल्ली के बॉर्डर पर कड़ाके की ठंड में कृषि बिल को वापस लेने की मांग पर डटे हुए है। किसानों के साथ इसमें बच्चे और बूढ़े भी शामिल है। ऐसे में ठंड काफी बढती जा रही है। और कोरोना वायरस संक्रमण का खतरा भी बना हुआ है। इसे देखते हुए कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा कि मेरा किसान यूनियन से आग्रह है कि सर्दी का सीज़न है कोविड का संकट है इसलिए जो बुज़ुर्ग लोग हैं और जो बच्चें हैं अगर उन्हें यूनियन के नेता घर भेज देंगे तो वे सुविधा से रह सकेंगे।
कृषि मंत्री ने कहा कि उनके अपने कार्यक्रम हैं मैं उनपर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता। मैं सभी यूनियनों, किसान नेताओं से कहना चाहता हूं कि आंदोलन का रास्ता छोड़ चर्चा के रास्ते पर आएं। भारत सरकार कई दौर की चर्चा कर चुकी है और समाधान के लिए आगे भी चर्चा करने को तैयार है।
नए कृषि कानूनों के मुद्दे पर 40 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों और केंद्र सरकार के बीच विज्ञान भवन में पांचवें दौर की लगभग 5 घंटे चली बातचीत भी बेनतीजा रही। नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन 10वें दिन भी जारी है। 10 दिन से दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसान केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ आर-पार की लड़ाई के लिए कमर कस चुके हैं। हालांकि, सरकार ने कानूनों पर संशोधन करने के संकेत दिए हैं लेकिन किसान कानूनों की वापसी पर अड़े हुए हैं।
अब 9 दिसंबर को किसानों और केंद्र सरकार के बीच छठे दौर की बाचतीच दोपहर 12 बजे होगी। बैठक में शामिल सभी की सहमति के आधार पर यह फैसला लिया गया है। नये कृषि कानूनों को लेकर जारी गतिरोध को समाप्त करने के लिए सरकार लगातार किसान नेताओं के साथ वार्ता कर रही है ताकि जल्द से जल्द कोई रास्ता निकाला जाए। आप भी बिंदुवार जानिए किसान नेताओं और सरकार के बीच आज की बैठक में शनिवार को क्या हुआ। किसान कानूनों पर सरकार के साथ हुई बैठक के बाद किसान नेता ने कहा कि सरकार ने तीन दिन का समय मांगा है। 9 दिसंबर को सरकार हमें प्रपोज़ल भेजेगी, उस पर विचार करने के बाद बैठक होगी। 8 तारीख को भारत बंद ज़रूर होगा। ये कानून ज़रूर रद्द होंगे।