नई दिल्ली: दिनों दिन भ्रष्टाचार इतना बढ़ता जा रहा है कि अब इसे रोक पाना मुश्किल लगता है। भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कई नियम व कानून बनाए गए परन्तु इस पर इसका कोई प्रभाव पड़ता नहीं दिख रहा। इसी कारण से मोदी सरकार ने भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ सख्त रवैया अपनाया है। उन्होनें कहा 6 महिने के अंतर्गत करप्ट अफसर पर कार्यवाही करने का अभियान चलाया जाएगा। इसके लिए अधिकारियों के खिलाफ चल रहे मामले में परिणाम देने के लिए समय-सीमा तय कर दी गई है। 5 जून को एक बैठक का आयोजन किया गया था। इस बैठक में भ्रष्टाचार के मामलों पर पीएम मोदी ने सभी सेक्रेटरी व अधिकारियों के साथ विचार विमर्श किया। (अब रोज बदलेंगे पेट्रोल-डीजल के दाम, डीलरों ने वापस लिया हड़ताल)
अफसरों के साथ हाल ही में हुए बैठक में पीएम मोदी ने बताया कि किस प्रकार करप्शन की शिकायतों व उसके खिलाफ एक्शन लेने में सुस्ती दिखाई जा रही है। पीएमओ ने यह आदेश दिया है कि इस साल के अंत तक सभी मामलो में एक्शन के साथ रिपोर्ट पेश की जाए। मोदी सरकार ने कहा '2019 आम चुनाव में भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग को चुनावी मुद्दा बनाया जाएगा।' सूत्रों के अनुसार यह पता चला कि पीएमओ ने करप्शन के खिलाफ जांच पूरी करने की समय सीमा केवल 6 महिने ही निर्धारित की है तथा इसके लिए 50 साल पुराने कानूनों को बदला गया है।
इस नियम के तहत 6 महिने में करप्शन से जुड़े मामलों की जांच कर रिपोर्ट पेश करनी होगी। पीएमओ ने जब करप्शन से जुड़े मामलों की जांच की तो उन्होने पाया कि कई मामलों की जांच पांच साल से भी अधिक समय से चल रही है और अभी तक कोई एक्शन नहीं लिया गया है। पीएम बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने ब्यूरोक्रेसी रिफॉर्म को अपना अजेंडा बताया था परन्तु इसके कारण अब कई कामों में रूकावटें आ रही है। अभी तक 129 ग्रेड ए और ग्रेड बी अफसरों को करप्शन के केस में नौकरी से बर्खास्त किया जा चुका है। 24415 ग्रेड 1 और 42521 ग्रेड बी अफसरों के खिलाफ जांच चल रही है।