नयी दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूर की गई नयी शिक्षा नीति को शिक्षा के क्षेत्र में लंबे समय से अटके और बहुप्रतीक्षित सुधार करार देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि यह आने वाले समय में लाखों जिंदगियों में बदलाव लाएगी। उन्होंने कहा कि ज्ञान के इस युग में जहां शिक्षा, शोध और नवाचार महत्वपूर्ण हैं, ये नयी नीति भारत को शिक्षा के जीवंत केंद्र के रूप में परिवर्तित करेगी।
प्रधानमंत्री ने सिलसिलेवार ट्वीट कर कहा कि नयी शिक्षा नीति ‘‘समान पहुंच, निष्पक्षता, गुणवत्ता, समावेशी और जवाबदेही’’ के स्तंभों पर आधारित है। उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को मिली मंजूरी का मैं पूरे मन से स्वागत करता हूं। यह शिक्षा क्षेत्र में लंबे समय से अटका हुआ और बहुप्रतीक्षित सुधार है जो आने वाले समय में लाखों जिंदगियों में परिवर्तन लाएगी।’’ उन्होंने उम्मीद जताई कि शिक्षा देश को उज्जवल भविष्य देगा और इसे समृद्धि की ओर ले जाएगा। नई शिक्षा नीति में स्कूल शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक कई बड़े बदलाव किए गए हैं । इसमें (लॉ और मेडिकल शिक्षा को छोड़कर) उच्च शिक्षा के लिये सिंगल रेगुलेटर (एकल नियामक) रहेगा । इसके अलावा उच्च शिक्षा में 2035 तक 50 फीसदी सकल नामांकन दर पहुंचने का लक्ष्य है ।
इस नीति को केंद्रीय मंत्रिमंडल में लाए जाने से पूर्व चली परामर्श प्रक्रिया का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का सृजन सहभागी शासन के ज्वलंत उदाहरण के रूप में याद किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को तैयार करने के लिए मैं उन सभी का धन्यवाद करता हूं जिन्होंने कड़ी मेहनत की।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि छात्रवृत्ति की उपलब्धता के दायरे को बढ़ाने, खुली और दूरस्थ शिक्षा के लिए अधोसंरचना को मजबूती देने, ऑनलाइन शिक्षा और तकनीक के इस्तेमाल को बढ़ावा देने जैसे पहलुओं का नयी शिक्षा नीति में बहुत ध्यान रखा गया है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र के लिए ये महत्वपूर्ण सुधार हैं। उन्होंने कहा, ‘‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत की भावना का सम्मान करते हुए नयी शिक्षा नीति में संस्कृत सहित अन्य भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने की व्यवस्था को भी शामिल किया गया है।’’
केंद्र सरकार की ‘‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’’ की पहल राज्यों के बीच गहरी और योजनाबद्ध भागीदारी के माध्यम से राष्ट्रीय एकता की भावना को बढ़ावा देती है । प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘माध्यमिक स्तर पर कई विदेशी भाषाओं को भी एक विकल्प के रूप में चुना जा सकेगा। भारतीय संकेत भाषा यानी साइन लैंग्वेज (आईएसएल) को देश भर में मानकीकृत किया जाएगा।’’