गुजरात: सूरत की एक सत्र अदालत ने जेल में बंद स्वयंभू बाबा आसाराम के बेटे नारायण साई को बलात्कार के एक मामले में मंगलवार को उम्रकैद की सजा सुनायी। नारायण साई के खिलाफ यह मामला 2013 में एक महिला द्वारा दर्ज कराया गया था जो पहले अनुयायी थी।। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पी एस गढवी ने 47 वर्षीय साई को सजा सुनायी और उस पर एक लाख रूपये का जुर्माना भी लगाया। अदालत ने साई को पीड़ित को मुआवजे के तौर पर पांच लाख रूपए देने का भी निर्देश दिया। आसाराम को पिछले साल अप्रैल में जोधपुर की एक अदालत ने बलात्कार के एक मामले में दोषी ठहराया था और उम्रकैद की सजा सुनायी थी।
अदालत ने स्थानीय लाजपोर जेल में 2013 से बंद साई के तीन सहयोगयों को भी विभिन्न अपराधों के लिए दोषी ठहराया तथा उन्हें 10-10 साल की जेल की सजा सुनायी। तीन में से दो सहयोगी महिलाएं हैं। अदालत ने साई के तीन सहयोगियों धर्मिष्ठा उर्फ गंगा, भावना उर्फ जमुना और पवन उर्फ हनुमान को 10-10 साल की सजा सुनायी। अदालत ने तीनों पर पांच-पांच हजार रूपए का जुर्माना भी लगाया। साई के ड्राइवर राजकुमार उर्फ रमेश मल्होत्रा को छह महीने की सजा सुनायी गयी है।
इससे पहले अदालत ने 26 अप्रैल को 11 आरोपियों में से साई सहित पांच को भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत दोषी ठहराया था। अदालत ने सजा सुनाने के लिए 30 अप्रैल की तारीख तय की थी। अदालत ने कुल 11 आरोपियों में से छह को बरी कर दिया था। इससे पहले दिन में सुनवाई के दौरान विशेष लोक अभियोजक पी एन परमार ने साई को अनुकरणीय सजा दिए जाने और पीड़ित को 25 लाख रूपये का मुआवजा दिए जाने का अनुरोध किया। बचाव पक्ष के वकील बी एम गुप्ता ने न्यूनतम सजा दिए जाने की अपील की और कहा कि प्राथमिकी करीब 11 साल बाद दर्ज की गयी। साई को दिसंबर 2013 में दिल्ली-हरियाणा सीमा से गिरफ्तार किया गया था।