नयी दिल्ली: उत्तरी दिल्ली के बुराड़ी में एक ही परिवार के 11 सदस्यों के रहस्यमयी परिस्थितियों में मृत पाए जाने के मामले में बरामद किए गए हाथ से लिखे नोटों में कहा गया है कि ‘‘ मानव शरीर अस्थायी है और अपनी आंखें और मुंह बंद करके डर से उबरा जा सकता है। ’’ एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि यह नोट संकेत देते हैं कि इन मौतों में कोई ‘‘ धार्मिक या आध्यात्मिक पहलू ’’ है। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि यह पता लगाने के लिए जांच की जाएगी कि क्या परिवार किसी तंत्र - मंत्र में शामिल था या वे किसी तांत्रिक के अनुयायी थे। पुलिस ने बताया कि 10 सदस्यों की आंखें और मुंह कपड़ों से बंधे हुए थे और उनके शव झूल रहे थे जबकि 77 साल की एक महिला फर्श पर मृत पाई गईं और उसकी आंखों और मुंह पर पट्टी नहीं बंधी थी। बच्चों के हाथ - पांव बंधे हुए थे। (महाराष्ट्र: बच्चा चोरी की अफवाह के चलते पांच लोगों की पीट-पीटकर हत्या )
मकान की तलाशी के दौरान पुलिस को हाथ से लिखे कुछ नोट मिले जिसके बारे में उनका कहना है कि परिवार किसी धार्मिक कर्मकांड का पालन करता होगा। संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) आलोक कुमार ने बताया , ‘‘ हमें हाथ से लिखे नोट मिले हैं जिनमें विस्तार से बताया गया है कि हाथ और पांव किस तरह बांधे जाएं और लगभग उसी तरह से 10 लोगों के शव बरामद किए गए। काफी लंबे नोट हैं और हम उनका अध्ययन कर रहे हैं। ’’ पुलिस ने इस मामले में हत्या का केस दर्ज किया है लेकिन पुलिस को यह भी संदेह है कि यह आपसी सहमति से खुदकुशी करने का मामला भी हो सकता है। इस बीच , मृतकों के पड़ोसियों ने बताया कि वे काफी मददगार स्वभाव वाले थे। अमरीक सिंह नाम के एक पड़ोसी ने बताया कि परिवार द्वारा चलाई जाने वाली किराने की दुकान हर रोज सुबह छह बजे खुल जाती थी और तभी बंद होती थी जब गली में रहने वाले सारे लोग सोने चले जाते थे। आज जब सुबह सात बजे तक दुकान नहीं खुली तो सभी को हैरत हुई।
अमरीक के पिता गुरचरण सिंह ने कहा , ‘‘ दूध वाला दुकान के बाहर आया था। कुछ पड़ोसी वहां इकट्ठा हुए थे क्योंकि वैन का ड्राइवर बार - बार हॉर्न बजा रहा था। मैंने मेन गेट खोला और सीढ़ियों पर चढ़कर ऊपर गया तो मैंने जो कुछ देखा उससे स्तब्ध रह गया। ’’ देवेश नाम के एक अन्य पड़ोसी ने बताया , ‘‘ किसी छोटे - मोटे सामान का अनुरोध करने पर वे कभी - कभी सुबह 5:30 में भी दुकान खोल देते थे। पास में रहने वाला चाय वाला उनका पहला ग्राहक होता था क्योंकि वह दूध खरीदने आता था। ’’ स्थानीय लोगों ने भाटिया परिवार को गली में रहने वाला ‘‘ सबसे बड़ा परिवार ’’ बताया। एक पड़ोसी ने कहा , ‘‘ वे यहां 22 साल से ज्यादा समय से रह रहे थे। हमने उन्हें कभी झगड़ते या किसी पड़ोसी को नुकसान पहुंचाते नहीं देखा। ’’