नई दिल्ली: कोरोना वायरस के प्रकोप से उपजे संकट के बीच भारत को उग्रवाद के खिलाफ जंग में बड़ी कामयाबी मिली है। म्यांमार ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल की निगरानी में हुए गुप्त अभियान के बाद 22 उग्रवादियों को भारत को सौंप दिया है। अधिकारियों द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, इन उग्रवादियों में NDFB (S) के स्वयंभू गृह सचिव राजेन डिमरी भी शामिल हैं। ये सभी उग्रवादी पूर्वोत्तर राज्यों में सक्रिय थे और भागकर म्यांमार चले गए थे।
अधिकारियों ने बताया कि उग्रवादियों को एक विशेष विमान से भारत लाकर मणिपुर और असम में पुलिस बलों के हवाले कर दिया गया, जहां उन्हें वॉन्टेड घोषित किया गया था। अधिकारियों ने कहा कि 10 उग्रवादी मणिपुर जबकि शेष असम में वॉन्टेड थे। उन्होंने कहा कि इसे म्यांमार की सेना के साथ विचार-विमर्श करने वाले डोbल की अगुवाई में एक 'अभूतपूर्व कूटनीतिक सफलता’ माना जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप भारत के पूर्वी पड़ोसी देश ने पहली बार इस तरह विद्रोहियों को भारत के हवाले किया है। अधिकारियों ने कहा कि इसे दोनों देशों के बीच कूटनीतिक और सैन्य संबंध में गहराई के संकेत के तौर पर भी देखा जा रहा है।
इस पूरे मिशन में NSA अजित डोवाल की अहम भूमिका रही है। उनके नेतृत्व में भारत और म्यांमार के बीच सैन्य संबंध पहले से अधिक गहरे हुए हैं। इससे पहले भी 2018 में भारतीय सेना ने म्यांमार सेना के सहयोग से पूर्वोत्तर में एक सर्जिकल स्ट्राइक को भी अंजाम दे चुकी है। इसमें बड़ी संख्या में उग्रवादी मारे गए थे। बता दें कि म्यांमार के साथ भारत की 1,600 किलोमीटर की सीमा घने जंगलों से ढकी है। इसके अलावा यहां स्थित नदी-नाले सुरक्षाकर्मियों की गश्त में बाधा बनते है। इसका फायदा यहां के उग्रवादी संगठन उठाते हैं।