नई दिल्ली: म्यांमार में तख्तापलट की घटनाओं पर भारत ने चिंता जताई है। विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि भारत हमेशा से म्यांमार में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के समर्थन में रहा है। वहां कानून का शासन और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बरकरार रखना चाहिए। हम हालात पर बारीकी से नजर रख रहे हैं।
आपको बता दें कि म्यामां में सेना ने सोमवार तड़के तख्तापलट कर स्टेट काउंसलर आंग सान सू की को नजरबंजद कर लिया है। मीडिया में आयी खबरों के अनुसार राजधानी में संचार के सभी माध्यम काट दिये गये हैं। नेपीता में फोन और इंटरनेट सेवा बंद है और सू की (75) की नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी पार्टी से संपर्क नहीं हो पा रहा है। पिछले साल के चुनाव के बाद म्यामां के सांसद राजधानी नेपीता में संसद के पहले सत्र के लिए सोमवार को एकत्रित होने वाले थे। हालांकि सेना के हालिया बयानों से सैन्य तख्तापलट की आशंका दिख रही थी।
ऑनलाइन समाचार पोर्टल ‘म्यामां नाउ’ ने अज्ञात सूत्रों के हवाले से बताया कि सू की और उनकी पार्टी के अध्यक्ष को सोमवार तड़के गिरफ्तार कर लिया गया। हालांकि पोर्टल पर कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी गयी है। म्यामां विजुअल टेलीविजन और म्यामां वॉइस रेडियो ने सुबह करीब साढ़े छह बजे फेसबुक पर पोस्ट किया कि उनके कार्यक्रम नियमित प्रसारण के लिए उपलब्ध नहीं हैं।
सू की की पार्टी ने संसद के निचले और ऊपरी सदन की कुल 476 सीटों में से 396 पर जीत दर्ज की थी जो बहुमत के आंकड़े 322 से कहीं अधिक था। लेकिन वर्ष 2008 में सेना द्वारा तैयार किए गए संविधान के तहत कुल सीटों में 25 प्रतिशत सीटें सेना को दी गयी हैं जो संवैधानिक बदलावों को रोकने के लिए काफी है। कई अहम मंत्री पदों को भी सैन्य नियुक्तियों के लिए सुरक्षित रखा गया है। सू की देश की सबसे अधिक प्रभावशाली नेता हैं और देश में सैन्य शासन के खिलाफ दशकों तक चले अहिंसक संघर्ष के बाद वह देश की नेता बनीं।
इनपुट भाषा