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मेरी जिंदगी अब एक कोरा कागज, नए सिरे से इबारत लिखनी होगी: तंदूर कांड का दोषी

1995 में अपनी पत्नी नैना साहनी की हत्या और बाद में तत्कालीन चार सितारा होटल अशोक यात्री निवास की छत पर शव को तंदूर में जलाने की कोशिश करने के मामले में करीब 23 साल कैद की सजा काटने के बाद शर्मा शुक्रवार रात तिहाड़ जेल से बाहर आया।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: December 23, 2018 20:35 IST
Former youth Congress leader Sushil Kumar Sharma with his...- India TV Hindi
Former youth Congress leader Sushil Kumar Sharma with his family members at his residence after he released from jail, who was convicted for killing his wife Naina Sahni in 1995

नई दिल्ली: कुख्यात ‘‘तंदूर कांड’’ के दोषी सुशील शर्मा की आंखों में जेल से रिहाई के बाद अब पछतावे के आंसू हैं तो साथ ही आगे की जिंदगी के लिए राह बनाने की चुनौती भी। अदालत ने सजा काटने के बाद शर्मा की रिहाई के आदेश दे दिए लेकिन रिहाई के बाद शर्मा को पता है कि आगे का सफर बहुत मुश्किल होगा। युवा कांग्रेस के पूर्व नेता शर्मा ने रविवार को लोधी रोड स्थित साईं मंदिर में प्रार्थना की। मंदिर में पूजा के बाद शर्मा ने बताया, ‘‘मैं साईं बाबा और देवी दुर्गा को मानता हूं। मैंने हर दिन भगवान की प्रार्थना की और इससे जेल में रहने के दौरान मुझे बहुत संबल मिलता था। अब मैं शिरडी जाने की योजना बना रहा हूं।’’

1995 में अपनी पत्नी नैना साहनी की हत्या और बाद में तत्कालीन चार सितारा होटल अशोक यात्री निवास की छत पर शव को तंदूर में जलाने की कोशिश करने के मामले में करीब 23 साल कैद की सजा काटने के बाद शर्मा शुक्रवार रात तिहाड़ जेल से बाहर आया। शर्मा ने कहा, ‘‘मैं अपने माता-पिता के साथ वैष्णो देवी भी जाना चाहता हूं लेकिन अब वे बेहद बुजुर्ग हो गए हैं और सफर नहीं कर सकते।’’

उसने कहा कि उसकी जिंदगी अब एक कोरा कागज है और जेल से बाहर आने का अहसास अभी पूरी तरह से नहीं हुआ है। शर्मा ने दृढ़ता से कहा, ‘‘मेरी जिंदगी अब एक कोरा कागज है और मुझे नए सिरे से इबारत लिखनी है।’’ अगले साल 24 जनवरी को शर्मा अपना 60वां जन्मदिन मनाएगा। उसने कहा कि उसका पूरा ध्यान अब अपने बुजुर्ग माता-पिता की सेवा करने पर है जिन्होंने बिना किसी गलती के मुश्किलों का सामना किया।

उसने कहा, ‘‘हर दिन सोने जाने से पहले मेरे पिता, जो अब 85 वर्ष के हैं, सोचते थे कि क्या मैं अपने जिंदा रहते बेटे को जेल से बाहर आता देख पाउंगा?’’ ‘‘मेरा छोटा भाई 1978 में एक सड़क हादसे में मारा गया था। जब मुझे सजा हुई तो यह मेरे परिवार के लिए दोहरी मार थी। मैं अपने माता-पिता के साथ अधिक से अधिक समय बिताना चाहता हूं जिन्हें बिना किसी गलती के काफी मुसीबतें झेलनी पड़ीं।’’

शर्मा ने कहा कि माता-पिता की सेवा के बाद वह उन जोड़ों की काउंसलिंग करना चाहता है जो जल्द शादी करने वाले हैं। उसने कहा कि वह पीछे देखता है तो पाता है कि यह उसका अधिकारात्मक रवैया था जिसकी वजह से उसके दांपत्य जीवन में यह हादसा हुआ।

मंदिर के बाहर खड़े शर्मा ने रुंधी हुई आवाज में कहा, ‘‘मैं मानता हूं कि यह मेरी गलती थी और मुझे इसकी सजा भुगतनी थी। इस प्रक्रिया में एक व्यक्ति की जान चली गई और दूसरे की जिंदगी भी मौत जैसी ही हो गई। मैंने सोचा कि उस पल (जब उसने नैना साहनी को मारा) क्या हुआ और किस वजह से ऐसा हुआ और मुझे मेरा सबक मिल चुका है।’’

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