पटना: पटना हाईकोर्ट ने मुजफ्फरपुर शेल्टर होम यौन उत्पीड़न मामले की जांच की प्रगति रिपोर्ट जमा करने में असफल रहने पर जांच एजेंसी सीबीआई की खिंचाई की और सवाल किया कि जांच टीम का हिस्सा रहे पुलिस अधीक्षक (एसपी) रैंक के एक अधिकारी का ट्रांसफर क्यों किया गया। चीफ जस्टिस मुकेश आर. शाह और जस्टिस रवि रंजन की खंडपीठ ने सीबीआई को निर्देश दिया कि वह 27 अगस्त को मामले में अगली सुनवायी के दौरान अपना जवाब दाखिल करे और उसे अदालत के समक्ष सीलबंद लिफाफे में रखे।
अदालत ने छह अगस्त के अपने पूर्ववर्ती आदेश में सीबीआई के एसपी को निर्देश दिया था कि वह एक अधिवक्ता के जरिये इस अदालत के समक्ष पेश हों और जांच की प्रगति के संबंध में एक रिपोर्ट दायर करें। सीबीआई मुख्यालय की ओर से 21 अगस्त को जारी एक आदेश के जरिये एसपी जे पी मिश्रा का स्थानांतरण विशेष अपराध शाखा से कर दिया गया था और उन्हें पटना स्थित डीआईजी कार्यालय से सम्बद्ध कर दिया गया। अदालत ने केंद्रीय जांच एजेंसी से कहा कि वह स्पष्ट करे कि मामले में जांच अधिकारी मिश्रा का स्थानांतरण क्यों किया गया।
बिहार में विपक्षी दलों ने इस फेरबदल की आलोचना की है और आरोप लगाया है कि इससे जांच प्रतिकूल रूप से प्रभावित होगी। पटना हाईकोर्ट बिहार सरकार के अनुरोध पर मुजफ्फरपुर में सरकार की ओर से वित्तपोषित लड़कियों के आश्रयगृह में इस प्रकरण की जांच की निगरानी कर रहा है। इस बीच अदालत ने जांच की जानकारी लीक होने को लेकर भी अप्रसन्नता जतायी और मीडिया से कहा कि वह इसे प्रकाशित करने से परहेज करे क्योंकि यह जांच के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में 34 लड़कियों के यौन उत्पीड़न का मामला मुम्बई स्थित टाटा इंस्टीट्यूट आफ सोशल साइंसेस की सोशल आडिट में प्रकाश में आया था। उसके बाद बिहार के सामाजिक कल्याण विभाग ने एक प्राथमिकी दर्ज की थी और 10 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया था जिसमें मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर भी शामिल था जिसका एनजीओ आश्रयगृह संचालित करता था।