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बकरीद पर कुर्बानी के खिलाफ खड़ा हुआ मुस्लिम समाज, जानें क्या है पूरा मामला

मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के सदस्य ईद-उल-अजहा या बकरीद पर कुर्बानी के नाम पर जानवरों की दी जाने वाली बलि के विरोध में खड़ा हो गया है। उन्होंने इस्लाम के अनुयायियों से आग्रह किया है कि सड़कों पर जानवरों की कुर्बानी ना दें, सड़को और अपने इलाके को स्वच्छ बन

Edited by: India TV News Desk
Updated on: August 30, 2017 15:21 IST
Bakrid- India TV Hindi
Bakrid

नई दिल्ली: ईद-उल-अजहा या बकरीद पर कुर्बानी के नाम पर जानवरों की दी जाने वाली बलि के विरोध में खुद मुस्लिम समाज खड़ा हो गया है। मंगलवार को मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के सदस्यों ने बकरीद के मौके पर जानवरों की कुर्बानी का कड़ा विरोध जाहिर किया। कई जानेमाने मुस्लिम संगठनों व नेताओं ने इस्लाम के अनुयायियों से आग्रह किया है कि सड़कों पर जानवरों की कुर्बानी ना दें, सड़को और अपने इलाके को स्वच्छ बनाए रखने। ये भी पढ़ें: बड़ा खुलासा: राम रहीम का अदालत से ही भागने का प्लान था, कमांडो के साथ फरार होना चाहता था

लखनऊ स्थित विश्व संवाद केंद्र में आयोजित प्रेसवार्ता में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच यूपी के सह-संयोजक खुर्शीद आगा ने कहा, "बकरीद में कुर्बानी को लेकर समाज में अंधविश्वास फैला है, मुसलमान अपने आपको ईमान वाला तो कहता है, लेकिन वास्तव में अल्लाह की राह पर चलने से भ्रमित हो गया है।"

उन्होंने कुर्बानी का विरोध करते हुए प्रश्न उठाया कि कुर्बानी जायज नहीं है तो फिर जानवरों की कुर्बानी क्यों दी जा रही है? उन्होंने आयोध्या के विवादित ढांचे का जिक्र करते हुए कहा कि कुरान के अनुसार, जहां फसाद हो वहां नमाज अदा नहीं की जा सकती है तो फिर विवादित ढांचे की जगह मस्जिद कैसे बनाई जा सकती है।

वहीं पूर्वी यूपी के मंच संयोजक ठाकुर राजा रईस ने कहा, "जब हजरत इब्राहिम द्वारा किसी जानवर की कुर्बानी नहीं दी गई तो फिर मुस्लिम समाज में बकरीद के मौके पर जानवरों की कुर्बानी क्यों दी जा रही है। बकरीद में जानवरों की कुर्बानी के नाम पर जानवरों का कत्ल हो रहा है, यह कुर्बानी नहीं है।"

उन्होंने कहा, "रसूल ने फरमाया है, "पेड़-पौधे, पशु-पक्षी अल्लाह की रहमत है, उन पर तुम रहम करोगे। अल्लाह की तुम पर रहमत बरसेगी।" संयोजक (अवध प्रांत) सैयद हसन कौसर ने गाय की कुर्बानी को हराम बताते हुए कहा, "'तीन तलाक' की तरह ही बकरीद के मौके पर जानवरों की कुर्बानी एक कुरीति है। हम सब 21वीं सदी में प्रवेश करने जा रहे हैं। इसलिए समाज को बुरी कुरीतियों से निकालना होगा।"

कैसे मनाई जाती हैं बकरीद

-सबसे पहले ईदगाह में ईद सलत पेश की जाती हैं

-पुरे परिवार एवम जानने वालो के साथ मनाई जाती हैं
-सबके साथ मिलकर भोजन लिया जाता हैं
-नये कपड़े पहने जाते हैं
-गिफ्ट्स दिए जाते हैं खासतौर पर गरीबो का ध्यान रखा जाता हैं उन्हें खाने को भोजन और पहने को कपड़े दिये जाते हैं
-बच्चों और अपने से छोटो को ईदी दी जाती हैं
-ईद की प्रार्थना नमाज अदा की जाती हैं
-इस दिन बकरे के अलावा बकरी, भैंस और ऊंट की कुर्बानी दी जाती हैं
-कुर्बान किया जाने वाला जानवर देख परख कर पाला जाता हैं अर्थात उसके सारे अंग सही सलामत होना जरुरी हैं
-बकरे को कुर्बान करने के बाद उसके मांस का एक तिहाई हिस्सा खुदा को, एक तिहाई घर वालो एवम दोस्तों को और एक तिहाई गरीबों में दे दिया जाता हैं

यह पर्व जहां सबको साथ लेकर चलने की सीख देता है वहीं बकरीद यह भी सिखाती है कि सच्चाई की राह में अपना सब कुछ कुर्बान करने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।

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