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शिवसेना नेताओं ने राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार विजेता लड़की से छीना माइक, मंच से उतारा

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर यहां आयोजित एक समारोह में राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार विजेता लड़की जेन सदावर्ते को शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने मंच से बाहर कर दिया, जबकि वह आमंत्रित अतिथियों में से एक थी।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: March 09, 2020 20:01 IST
National Bravery Award winner Zen Sadavarte- India TV Hindi
National Bravery Award winner Zen Sadavarte

मुंबई: अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर यहां आयोजित एक समारोह में राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार विजेता लड़की जेन सदावर्ते को शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने मंच से बाहर कर दिया, जबकि वह आमंत्रित अतिथियों में से एक थी। सोमवार को लड़की के परिजनों ने यह जानकारी दी। रविवार को देर रात परेल स्थित दामोदर हॉल में सुभाष भामरे मित्र मंडल, शिवराज प्रतिष्ठान, विठ्ठल चव्हाण प्रतिष्ठान, गणराज सहकारी पटसंस्थान लिमिटेड के संयुक्त तत्वावधान में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था।

अधिवक्ता गुणरतन सदावर्ते ने बताया, "जेन ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब बच्चों की समस्याओं पर बोल रही थीं। इसमें मुंबई के सिविक स्कूल भी शामिल थे, जहां बच्चे मध्याह्न् भोजन से वंचित रह जाते थे। इसके अलावा उन्होंने ट्रांसजेंडरों के लिए समान आरक्षण का मुद्दा भी उठाया। उनकी इन बातों से शिवसेना के सदस्य नाराज हो गए। उन्होंने जेन से माइक छीन लिया और उसे मंच से उतार दिया।"

आमंत्रित लोगों में शिवसेना की विधान पार्षद मनीषा कयांडे और पार्टी की विधायक यामिनी जाधव व अन्य प्रमुख नेता और कार्यकर्ता शामिल थे, जहां 'मासाहेब मीनाताई ठाकरे अचीवमेंट अवार्डस -2019' में 12 वर्षीय जेन सहित कई महिलाओं को सम्मानित किया जाना था।

जेन के भाषण के दौरान महिला आयोजकों में से एक ने पास आकर उन्हें कुछ कहा, लेकिन जेन द्वारा भाषण जारी रखे जाने पर एक अन्य महिला ने उसे रोकने का प्रयास किया। इसके बाद बने अराजक माहौल में जेन के हाथ से माइक छीन लिया गया। एक वक्ता ने जेन को सलाह दी कि वह कई चीजों को समझने के लिहाज से अभी 'बहुत छोटी' हैं।

उन्होंने कहा, "अब यहां (राज्य में) मराठी जानना अनिवार्य है और आपको मराठी भाषा बोलनी चाहिए, क्योंकि यहां के लोग जानते हैं कि वे क्या कर रहे हैं और उनका योगदान क्या है।" जेन ने कहा, "उन्होंने अभिव्यक्ति के मेरे अधिकार का हनन किया है। मुझे अंग्रेजी और हिंदी, दोनों मान्यता प्राप्त भाषाओं में बोलने का अधिकार है। उन्होंने मुझे किसी भी भाषा में बात करने की अनुमति दी थी, क्योंकि मैं मराठी में कुशल नहीं हूं।"

अधिवक्ता सदावर्ते ने कहा कि सार्वजनिक मंच पर अपमानजनक व्यवहार से आहत होकर जेन ने समारोह और सम्मान का बहिष्कार किया और पुलिस की सुरक्षा में वहां से चली गई।

जनवरी में, जेन को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार दिया गया था। वह उस समय चर्चा में आईं, जब उन्होंने शाहीनबाग में चल रहे प्रदर्शन के दौरान ठंड से एक बच्चे की मौत के बाद प्रदर्शन स्थल पर बच्चों को प्रतिबंधित करने संबंधी पत्र भारत के प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे को लिखा था।

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