मुंबई: देश के कोने-कोने में साल के अंतिम त्योहार क्रिसमस के लिए तैयारियां अब पूरी हो चुकी हैं। वहीं मुंबई में करीब दस हजार रंग बिरंगी लाईटों, सुंदर और मनमोहक परियों, रेंडियर और घंटियों व गजरों के साथ कॉटन स्नो से बने एक मुस्कराते तोंद वाले सांता क्लॉज से मशहूर और शानदार क्रिसमस ट्री को सजाया गया है। इसे भारत का सबसे लंबा पेड़ बताया जा रहा है। दक्षिणी मुंबई के एक निजी आवासीय सोसायटी आदर्श नगर के एक छोटे से बगीचे में भारत के सबसे ऊंचे, भव्य तरीके से सजाए गए, प्राकृतिक शंकुधारी वृक्ष को क्रिसमस ट्री के रूप में रिकॉर्ड पुस्तिका में दर्ज किया गया है। जिसकी ऊंचाई करीब 65 फुट या सात मंजिला इमारत से ऊंची है। आदर्श नगर सोसायटी वर्ली के पड़ोस में स्थित है।
इस क्रिसमस ट्री के मालिक डगलस सलदान्हा ने बताया, "मैं पिछले 45 वर्षो से इसकी देखभाल कर रहा हूं इससे पहले, मेरी बहन ट्विला मेरी मदद करती थी लेकिन, जून 2005 में उसकी मृत्यु के बाद, मैं अकेले ही इसपर ध्यान दे रहा हूं।" सलदान्हा परिवार का इतिहास इस भव्य क्रिसमस ट्री के साथ घनिष्ठता से जुड़ा हुआ है। जमीन से जुड़े इस चार सदस्यीय परिवार में दिवंगत हेनरी सलदान्हा, उनकी पत्नी ग्रेस, उनकी दिवगंत बेटी ट्विला और बेटा डगलस मंगलौर के रहने वाले हैं।
सलदान्हा ने कहा, "चार दशक पहले हमारा एक पड़ोसी था, जिसने अपने बरामदे में इसे लगाया हुआ था, लेकिन पांच फीट की ऊंचाई होने पर वह इसे प्रबंधित नहीं कर सका। यह पेड़ पहले से ही बहुत लंबा था। उसने उन्हें केवल 250 रुपये (4 डॉलर) में इसे बेच दिया। जो 1970 के दशक में किसी क्रिसमस ट्री को खरीदने के लिए काफी महंगा था। उन्होंने पेड़ की ओर इशारा करते हुए कहा कि पेड़ सीधा बादलों की तरफ बढ़ रहा था, इसकी सबसे छोटी शाखा लगभग 12 फीट तक फैली हुई थी।
सलदान्हा जो उस वक्त बमुश्किल 12 साल की उम्र के थे और उनकी 14 वर्षीय बड़ी बहन ट्विला ने बड़े प्यार से पेड़ को जमीन में लगाया और नियमित रूप से उसमें पानी डाला और स्वस्थ व मजबूत रूप से बढ़ते हुए खुशी से देखा। सल्दान्हा ने कहा, "क्रिसमस के वक्त हम इसे शानदार ढंग से सजाते थे। हम इसको सजाने का काम कम से कम एक पखवाड़े पहले से ही शुरू कर देते थे, इस कार्य में कभी-कभी हमें मित्रों और रिश्तेदारों का भी साथ मिलता था।" ट्विला ने 1991 में एनआरआई, जूड बेलो से शादी कर ली और क्रिसमस ट्री के एकमात्र अभिभावक के रूप में अपने भाई को छोड़कर अमेरिका में बस गई।
साल दर साल बड़ी संख्या में लोग विशेषकर दिसंबर-जनवरी के त्योहारी मौसम में यहां आते हैं इस बड़े पेड़ के साथ सेल्फी, तस्वीरें खींचते हैं और चुपचाप चले जाते हैं। उन्होंने बताया, "परिवार को यह जानकर अचानक उस वक्त बड़ा धक्का लगा कि ट्विला कैंसर से पीड़ित है। उसने डॉक्टरों और मेरी मां ग्रेस की सहायता से अपने स्वास्थ्य में सुधार किया। मेरी मां उसकी देखभाल करने के लिए वहां गई थी। अफसोस की बात यह रही कि कुछ साल बाद, जून 2005 में एक दिन हमें दुखद समाचार मिला कि उसका निधन हो गया।
जब भी परिवार अमेरिका जाता या वो वर्ली अपने घर आती, तो ट्विला सबसे पहले अपने पसंदीदा क्रिसमस ट्री के बारे में पूछती। वह कैसे बढ़ रहा है और क्या उसकी देखभाल ठीक से की जा रही है। साथ ही वह उसकी अनुपस्थिति में पेड़ से जुड़ी अन्य सभी कहानियों के बारे में पूछती। सलदान्हा ने रूंधी हुई आवाज में कहा, "वास्तव में, यह मरने से पहले उसकी अंतिम इच्छा थी कि मैं क्रिसमस ट्री को इतनी खूबसूरती से सजाऊं कि वह इसे स्वर्ग से देखे और आनंद ले।" तब से, उन्होंने यह सुनिश्चित कर लिया और ट्विला के पसंदीदा क्रिसमस ट्री को सजाने में कोई प्रयास या व्यय नहीं छोड़ा। जिसके परिणामस्वरूप आज न केवल यह पेड़ मुंबई का सबसे बड़ा और सबसे अच्छा पेड़ है बल्कि पूरे भारत में अपनी पहचान बना चुका है।
सलदान्हा ने कहा, "जैसा कि यह हर साल बढ़ता है, हमारा मानना है कि ट्विला की आत्मा इस क्रिसमस ट्री में बसती है। यह उन सभी लोगों के प्यार और स्पर्श से बढ़ता है जो इसे देखते या स्पर्श करते हैं। लोग अजनबियों की तरह इसे देखने के लिए आते हैं और पुराना दोस्त बनाकर चले जाते हैं।" डगलस ने कहा कि उनके प्रिय पिताजी 87 वर्ष की आयु में इस साल मार्च में शांतिपूर्वक चले गए और अपने पीछे 83 वर्षीय विधवा ग्रेस और अपने बेटे को पेड़ का पोषण करने के लिए छोड़ गए।
इस वर्ष, उन्होंने अपने पिता की आखिरी इच्छा पूरी करने के लिए पेड़ को सजाने पर एक लाख रुपये खर्च किए हैं। उन्होंने कहा था मेरी जिंदगी का जश्न मनाएं, मेरे लिए शोक न करें। ट्विला और मैं स्वर्ग से हमारे क्रिसमस ट्री को देखते रहेंगे। अपनी वृद्ध मां और क्रिसमस ट्री की देखभाल जारी रखने के लिए, सलदान्हा ने उम्र भर अकेले रहने का फैसला किया। सलदान्हा एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में वित्तीय सलाहकार तौर कार्यरत हैं। अपने युवा दिनों में शादी के कई आकर्षक प्रस्तावों को ठुकरा देने वाले 56 वर्षीय सलदान्हा ने कहा, "मैं अब उनके लिए बस एक अच्छा बेटा बनना चाहता हूं।"