नयी दिल्ली। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को कहा कि मुंबई का प्रसिद्ध छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसटी) स्टेशन रेलवे की शान है और सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के तहत उसके विकास के बाद भी उसकी बनावट, ढांचा या सुंदरता को कोई बदलाव नहीं आएगा। रेल मंत्री गोयल ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूरक सवालों के जवाब में यह टिप्पणी की। बता दें कि, शुक्रवार (19 मार्च) को राज्यसभा को 22 मार्च तक के लिए स्थगित किया गया।
पीयूष गोयल ने कहा कि यात्रियों के लिए सुविधाएं बढ़ाने के लिए सीएसटी स्टेशन का पुनर्विकास किया जा रहा है लेकिन उसके विरासत वाले हिस्से में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि वह यह सुनिश्चित करने पर ध्यान देते हैं कि जहां कहीं भी स्टेशनों का पुनर्विकास किया जा रहा हो तो उनकी स्थानीय पहचान, संस्कृति और पारंपरिक स्वरूप को क्षति नहीं पहुंचे। उन्होंने कहा कि पुनर्विकास प्रक्रिया के दौरान स्थानीय विरासत विशेषज्ञों से भी मशविरा किया जा रहा है।
गोयल ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस भारतीय रेलवे की शान है और उसकी बनावट, ढांचा या सुंदरता को बदलने का कोई सवाल नहीं है। उन्होंने कहा कि व्यस्त समय के दौरान बड़ी संख्या में यात्री स्टेशन के अंदर जाते हैं और बड़ी संख्या में स्टेशन से बाहर भी आते हैं। उन्होंने कहा कि अगर प्रवेश और निकास के रास्ते अलग अलग कर दिए जाएं तो यात्रियों को काफी सहूलियत होगी। उन्होंने कहा कि अभी हाल ही में हबीबगंज स्टेशन को विकसित किया गया है जहां एक निजी कंपनी ने पीपीपी साझेदारी में 100 करोड़ रुपये का निवेश किया है।
इससे यात्रियों के लिए सुविधाएं बढ़ेंगी और निवेशक की राशि 30 वर्षों में लौटेगी। गोयल ने कहा कि रेल मंत्रालय पीपीपी के जरिए रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास के लिए प्रयासरत है। उन्होंने गोमती नगर स्टेशन के पुनर्विकास का कार्य प्रक्रियाधीन है। इसके अलावा नागपुर, अमृतसर, साबरमती, ग्वालियर, पुडुचेरी, तिरूपति, देहरादून सहित आठ स्टेशनों के लिए अर्हता संबंधी अनुरोध (आरआफक्यू) को अंतिम रूप दिया गया है।
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