जोधपुर: मांसपेशियों की गंभीर बीमारी से पीड़ित जोधपुर के AIIMS में भर्ती अपने बेटे अरुण कुमार से मिलने के लिए केरल निवासी मां सिलम्मा अपनी पुत्रवधू के साथ 2700 किलोमीटर का सफर तय करके जोधपुर पहुंची। यह सफर तय करने में उन्हें 3 दिन लगे। लॉकडाउन के अंदर वह 6 राज्यों की सीमा पार करके जोधपुर के AIIMS अस्पताल पहुंची हैं। मां की ममता की छांव AIIMS में पड़ते ही ICU में वेंटिलेटर पर जिंदगी और मौत से जूझ रहा उनका बेटा तेजी से ठीक होने लगा।
डॉक्टरों ने अब उसे वेंटिलेटर से हटाकर वार्ड में शिफ्ट कर दिया है और अब बेटा अपनी मां से बात कर रहा है। अरुण बीएसएफ में हैं और वर्तमान में जैसलमेर में पदस्थ हैं। अरुण केरल के कोट्टयम जिले पनाकाचिर गांव के रहने वाले हैं और वह फरवरी माह में ड्यूटी पर लौटे थे। यहां बीमार होने पर बीएसएफ ने अरुण को एम्स में भर्ती करवाया और परिवार को सूचना दी लेकिन फिर 24 मार्च से लॉकडाउन हो गया।
इसी बीच अरुण की तबीयत धीरे-धीरे खराब होती गई। उन्हें मेडिसिन वार्ड से आईसीयू में शिफ्ट कर वेंटिलेटर पर रखना पड़ा। अरुण की मां सिलम्मा ने सूचना मिलने पर स्थानीय नेताओं की मदद से केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन तक बात पहुंचाई, जिसके बाद सरकार के निर्देश पर कोट्टयम के कलेक्टर ने सिलम्मा और उनकी पुत्रवधू के लिए पास बनाए। इसके बाद एक निजी संगठन ने कार की व्यवस्था की और उन्हें जोधपुर लाया गया।
सिलम्मा और उनकी बहू दोनों को ही न तो अंग्रेजी आती है और न ही हिंदी आती है। ऐसे में वह अपने साथ अंग्रेजी जानने वाले रिश्तेदार को लेकर आए। रिश्तेदार के जरिए ही बात कर 3 दिन में 6 राज्यों की सीमा पार कर जोधपुर पहुचें। यहां बीएसएफ ने स्थानीय पुलिस की मदद से सिल्लमा और उनकी पुत्रवधु के रहने और खाने का इंतजाम एम्स की माहेश्वरी धर्मशाला में किया।
बता दें कि अरुण को मांसपेशियों की बीमारी जीबी सिंड्रोम है। इस बीमारी में मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। अंत में श्वसन तंत्र की मांसपेशियां भी चपेट में आने लगती हैं, जिससे सांस लेने में तकलीफ होती है लेकिन अब जब मां की छांव अरुण को मिल चुकी है तो अरुण भी मां की ममता पाकर धीरे-धीरे ठीक होने लगे हैं।