प्रेम और मित्रता बराबर वालों से करें-
प्रेम और मित्रता दोनों ऐसे शब्द हैं जो बेहद करीब से जान पड़ते हैं। आप जिससे प्रेम करते हैं वो पहले आपका मित्र बनता है फिर आप उससे भावनात्मक और मानसिक रुप से जुड़ जाते हैं। मित्र बनाते वक्त अक्सर लोग यह ध्यान नहीं रखते कि सामने वाले और उसमें कितना अंतर है। इस पर चाणक्य का कहना था कि प्रेम और मित्रता अपने बराबर वाले से ही करनी चाहिए नहीं तो बाद में मुश्किलें आ सकती हैं।
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