भोपाल: मध्यप्रदेश में आम जनता को कोरोना से बचाने का जिम्मा उठा रहे स्वास्थ्य महकमे के अफसरों की लापरवाही ने मंत्रालय से लेकर स्वास्थ विभाग के अफसरों, कर्मचारियों और इनके परिजनों और तो और आम जनता तक की नींद उड़ा दी है। घेरे में कोई और नहीं बल्कि स्वास्थ विभाग की सबसे ऊंचे ओहदे पर बैठीं प्रमुख सचिव पल्लवी जैन गोविल हैं। भोपाल में कोरोना पॉज़िटिव में 50 फीसदी स्वास्थ विभाग के ब्यूरोक्रेट्स और कर्मचारी हैं। 4 मार्च को पल्लवी जैन गोविल की कोरोना पॉज़िटिव की रिपोर्ट आने से पहले 2 मार्च को सीएम की मौजदूगी में प्रमुख सचिव पल्लवी जैन समेत स्वास्थ विभाग के तमाम अफसरों की मंत्रालय में हुई बैठक पर अब कांग्रेस सवाल खड़े कर मुख्यमंत्री को भी क्वॉरेंटाइन होने की सलाह दे रही है।
भोपाल में अब तक 142 पॉज़िटिव मरीजों में आम जनता कम बल्कि स्वास्थ महकमा ज्यादा शिकार हो गया। स्वास्थ महकमे में सबसे ऊंचे ओहदे से लेकर कर्मचारियों तक 3 आईएएस समेत करीब 70 से ज्यादा लोग ओर उनके परिवार वाले कोरोना पॉज़िटिव मिले हैं। सिलसिलेवार समझें तो सबसे पहले 3 अप्रेल को हेल्थ कॉरपोरेशन के एमडी जय विजय कुमार के कुराना पॉजिटिव होने की खबर आई। लेकिन इसके दिन यानि 4 अप्रेल को ब्यूरोक्रेसी और सरकार के होश तो तब हवा हो गए जब स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख सचिव पल्लवी जैन गोविल के कोरोना पॉजिटिव होने पर मोहर लग गई, तो अफसर से अफसर तक और मीटिंग से मीटिंग तक ये सिलसिला ऐसा चला कि पल्लवी जैन गोविल के साथ साथ एडिशनल डायरेक्टर हैल्थ वीणा सिन्हा भी कोरोना का मरीज बन गईं। इसके बाद इंटीग्रेटेड डिसीज सर्विलांस प्रोग्राम (आईडीएसपी) के प्रभारी आईएएस गिरीश शर्मा कोरोना पॉजिटिव पाए गए। इससे पहले मंत्रालय में सीएम शिवराज समेत चीफ सेक्रेटरी इकबाल सिंह बैंस और पल्लवी जैन गोविल समेत तमाम अफसरों की कोरोना पर बैठकों का दौर चलता रहा था।
दरअसल 15 दिनों पहले मध्य प्रदेश कोरोना संक्रमित राज्यों में मध्य प्रदेश दसवें नंबर पर था लेकिन आज 598 कोरोना संक्रमित मरीजों के साथ मध्य प्रदेश पांचवें नंबर पर पहुंच चुका है, वहीं प्रदेश में 22 जिले करना संक्रमित ओर 45 मौतें कोरोना के चलते हो चुकी हैं।
जाहिर है जब प्रदेश में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हो और स्वास्थ्य विभाग का अमला खुद कोरोना पॉजिटिव निकले तो सवाल खड़े होना लाजमी हो जाता है। वहीं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मानते हैं इसका सबसे ज्यादा प्रभाव भोपाल और इंदौर में है इसलिए राज्य सरकार यहां पर त्रिस्तरीय रणनीति के तहत काम कर रही है। बहरहाल सवाल कई हैं लेकिन बड़ा सवाल ये कि आखिर जब भोपाल में स्वास्थ विभाग के ज्यादातर अफसर कर्मचारी लगातार कोरोना पाज़िटिव आते जा रहे हैं तो फिर ऐसे में आम जनता की मुश्किलें क्या और बढ़ने वाली हैं।