नई दिल्ली। गृह मंत्रालय ने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि देश में प्रवासी मजदूरों के लिए लॉकडाउन के शुरुआत से ही प्रभावी कदम उठाए गए हैं। गृह मंत्रालय की संयुक्त सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने बताया कि गृह मंत्रालय ने 27 मार्च को उभरती हुई परिस्थितियों को देखते हुए एडवाइजरी जारी कर राज्यों को परामर्श दिया था कि वह शीघ्रता व संवेदनशीलत से कदम उठाएं और श्रमिक मजदूरों के रहने, खाने और उनकी जरूरतों का इंतजाम करें।
इसके बाद गृह मंत्रालय ने 28 मार्च को एक और आदेश जारी कर राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को श्रमिक फंड का उपयोग उनके रहने और खाने के इंतजाम के लिए उपयोग करने की मंजूरी दी। 3 अप्रैल तक भारत सरकार ने राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को 11 हजार 92 करोड़ रुपए की राशि आवंटित की।
गृह मंत्रालय ने प्रवासी श्रमिकों के लिए 24 घंटे काम करने वाला एक कंट्रोल रूम स्थापित किया और सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को भी अपने यहां कंट्रोल रूम स्थापित करने व नोडल अधिकारी नियुक्त करने का परामर्श दिया। 30 मार्च को नया परामर्श जारी कर राज्यों से कहा कि ट्रक व अन्य वाहनों से गैरकानूनी ढंग से श्रमिकों को यात्रा करने से रोके और ऐसा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करें। सभी जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को मंत्रालय के सभी निर्देशों का पालन सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी दी गई।
श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए मंत्रालय ने 19 अप्रैल को आदेश जारी कर राज्य के भीतर आवाजाही को अनुमति दी। इसके बाद अंतर-राज्यीय आवाजाही को भी मंजूरी दी गई, ताकि श्रमिक रोजगार के लिए आसानी से एक राज्य से दूसरे राज्य में जा सकें। सचिव ने बताया कि प्रवासी श्रमिकों को उनके घर पहुंचाने के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाई गईं और रेलगाडि़यों की संख्या वर्तमान में प्रतिदिन 200 से अधिक हो गई है। हमने राज्यों से भी आग्रह किया है कि वे सक्रियता से और बसें चलाएं और श्रमिकों को उनके घरों तक पहुंचाएं। एनजीओ की मदद लेने के लिए भी निर्देश दिए गए हैं।
गृह मंत्रलाय ने महिलाओं, बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों की जरूरत पर विशेष ध्यान देने का निर्देश दिया है। अभी तक 2600 से ज्यादा श्रमिक स्पेशल ट्रेन चल चुकी हैं और इनसे 36 लाख प्रवासी श्रमिक यात्रा कर चुके हैं। इसके अलावा इंटर स्टेट बसों से भी 40 लाख से ज्यादा श्रमिक यात्रा कर चुके हैं।