नयी दिल्ली: नीति आयोग के सदस्य डॉ वी के पॉल ने बृहस्पतिवार को कहा कि संशोधित नीति के बाद कोविड-19 का उपचार कराके रोगियों को अस्पतालों से छुट्टी देने में तेजी आई है जिससे लोगों के सही होने की दर का पता चलता है। उन्होंने कहा कि वहीं पहले भी रोगी ठीक हो रहे थे लेकिन ऐसे अनेक रोगियों को गिना नहीं गया था। स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाने, अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने तथा लॉकडाउन खुलने के बाद लोगों की तकलीफें कम करने के उपाय सुझाने के लिहाज से गठित 11 अधिकार प्राप्त समूहों में से एक के अध्यक्ष पॉल ने कहा कि पहले छुट्टी दिये जाने संबंधी नीति के तहत भी कोविड-19 संक्रमित रोगी ठीक हो रहे थे और उन्हें छुट्टी दी जा रही थी लेकिन गिना नहीं गया।
देश में कोरोना वायरस संक्रमण से अब तक कुल 67,691 लोग ठीक हो चुके हैं और पिछले 24 घंटे में 3,266 रोगियों का उपचार हुआ। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार इससे देश में रोगियों के ठीक होने की कुल दर 42.75 प्रतिशत हो जाती है। पॉल ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘नये दिशानिर्देश प्रभाव में आने से पहले हम कुछ शर्तों के आधार पर कुछ समय के बाद रोगियों को छुट्टी दे रहे थे। लेकिन तब रोगी पहले ही ठीक हो रहे थे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन फिर आंकड़ों से यह बात सामने आई कि रोगी समय पर सही हो रहे हैं। इस तरह के आंकड़े भी आए कि वायरस का असर जल्द खत्म हो रहा है इससे चिकित्सा और वैज्ञानिक समुदाय को विश्वास मिला कि हल्के, मामूली और गंभीर मामलों के आधार पर एक निश्चित अवधि के बाद रोगियों को छुट्टी दी जा सकती है।’’
पॉल ने कहा कि यह अच्छी और सकारात्मक बात थी कि रोगियों को जल्दी और सुरक्षित घर भेजा जा सकता है और इसके परिणामस्वरूप अस्पतालों में बिस्तर भी समय पर खाली हो रहे थे। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस महीने की शुरुआत में रोगियों को छुट्टी देने के संबंध में एक संशोधित नीति जारी की थी जिसके अनुसार कोविड-19 के मामूली लक्षण वाले मामलों और हल्के मामलों में रोगी के लक्षण समाप्त होने के बाद उसे छुट्टी देने से पहले जांच की जरूरत नहीं है।
हालांकि गंभीर रूप से बीमार लोगों के लक्षण समाप्त होने के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी देने से पहले आरटी-पीसीआर जांच में उनकी रिपोर्ट निगेटिव आनी चाहिए। इससे पहले के दिशानिर्देशों के अनुसार किसी रोगी को छुट्टी के लिहाज से तब स्वस्थ माना जा रहा था जब 14वें दिन एक बार और 24 घंटे के अंतराल पर दूसरी बार जांच में संक्रमण नहीं होने की पुष्टि हो।