बेंगलुरू: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत को शोध और विकास (आर एंड डी) तथा अनुसंधान पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है जिससे देश रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर बन सके। मंत्री ने यहां कहा, ‘‘इच्छित लक्ष्य को हासिल करने के लिए रक्षा उत्पादन में हमें आत्मनिर्भर बनना होगा और यह आर एंड डी, अनुसंधान तथा रक्षा क्षेत्र में अत्याधुनिक तकनीक के विकास से होगा।’’ सिंह ने इंजीनियर्स कन्क्लेव, 2019 का उद्घाटन करने के साथ ही यहां भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) परिसर में उत्पाद विकास एवं अनुसंधान केंद्र का उद्घाटन किया। बीईएल में भाषण के दौरान उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय रक्षा उद्योग विगत में अपनी पूरी क्षमता के मुताबिक काम नहीं कर रहा था जिससे देश आयातित हथियारों पर काफी ज्यादा निर्भर हो गया।’’
उन्होंने कहा कि अच्छा प्रदर्शन नहीं करने का मुख्य कारण रक्षा क्षेत्र में तकनीक तथा अनुसंधान की कमी है। मंत्री ने कहा, ‘‘स्वदेश में महत्वपूर्ण और अत्याधुनिक तकनीक का विकास करना देश को आत्मनिर्भर बनाएगा और विदेशी मुद्रा की बचत करेगा जिसका इस्तेमाल हमारे देश में विकास की अन्य गतिविधियों में किया जा सकेगा।’’ रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के अध्यक्ष सतीश रेड्डी के साथ ही रक्षा आर एंड डी विभाग के सचिव एम वी गौतम, बीईएल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक भी समारोह में मौजूद रहे। उन्होंने कहा, ‘‘यह ठीक ही कहा गया है कि जब देशों के बीच युद्ध होता है तो बेहतर तकनीक वाले की जीत होती है।’’
सिंह ने कहा, ‘‘यह आंग्ल मैसूर युद्ध के समय भी देखा गया जब मैसूर के शासकों की सेना द्वारा रॉकेट के इस्तेमाल से अंग्रेजों के मन में भय पैदा हो गया।’’ मैसूर की सेना ने हैदर अली और उनके बेटे टीपू सुल्तान के शासनकाल में ब्रिटेन की ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ प्रभावी रूप से रॉकेट का इस्तेमाल किया था। केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘बदलते वैश्विक परिदृश्य और मुख्य क्षेत्रों में मचे उथल- पुथल के कारण यह उपयुक्त है कि भारत आत्मरक्षा के लिए महत्वपूर्ण तकनीक का विकास करे।’’ सिंह ने बृहस्पतिवार की सुबह एयर वाइस मार्शल एन. तिवारी के साथ तेजस विमान उड़ाया और वह इस हल्के लड़ाकू विमान को उड़ाने वाले देश के पहले रक्षा मंत्री बन गए।