वाशिंगटन। अमेरिकन साइंटिफिक एजेंसी के एक नए अध्ययन में यह सामने आया है कि इस वर्ष मानसून के कम-दबाव तंत्र के घटने का अनुमान है, जिससे उत्तर-मध्य भारत में बारिश में उल्लेखनीय कमी आ सकती है। राष्ट्रीय महासागरीय एवं वायुमंडलीय प्रशासन (एनओएए) का यह अध्ययन शुक्रवार को प्रकाशित हुआ है। इसमें दक्षिण एशियाई मानसून क्षेत्र में मानसून कम दबाव तंत्र (एमएलपीएस) के उल्लेखनीय हद तक घटने का अनुमान व्यक्त किया गया है।
एनओएए ने कहा कि एमएलपीएस भारतीय उपमहाद्वीप में वर्षा का एक कारक है और इसमें किसी भी तरह का बदलाव फिर चाहे वह प्राकृतिक हो अथवा मानव निर्मित, इसके दूरगामी सामाजिक आर्थिक प्रभाव होते हैं। अध्ययन में उत्तर-मध्य भारत में बारिश में कमी का अनुमान व्यक्त किया गया है।
विशेषरूप से एमएलपीएस भारतीय उपमहाद्वीप में प्राथमिक वर्षा-उत्पादक सिनॉप्टिक-स्केल सिस्टम है और यह कृषि आधारित उत्तर मध्य भारत में होने वाली वार्षिक वर्षा के आधे से अधिक के लिए जिम्मेदार है। एमएलपीएस में किसी भी प्रकार का बदलाव सामाजिक-आर्थिक प्रभाव डालता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रभाव के एक निश्चित दायरे को मानते हुए, मानसून कम-दबाव प्रणालियों में अनुमानित कमी से उत्तर-मध्य भारत में होने वाली वर्षा में काफी कमी आएगी। आमतौर पर वैश्विक जलवायु मॉडल सिमुलेशन में एमएलपीएस का खराब प्रदर्शन भविष्य के अनुमानों के भरोसे को कम करता है।