नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि निजी उद्योग से संबंधित किसानों के हित पूरी तरह सुरक्षित हैं और भूमि अधिग्रहण कानून में भी इसके लिए जरूरी संशोधन का प्रस्ताव रखा गया है। मोदी ने अपने रेडियो संबोधन 'मन की बात' में किसानों से कहा, "मैं आपको स्पष्ट तौर पर बताना चाहता हूं कि भूमि अधिग्रहण कानून 2013 में उद्योग और उद्यम से संबंधित सभी नियम पहले की तरह लागू रहेंगे।"
उन्होंने कहा, "(अधिग्रहित भूमि पर) औद्योगिक गलियारा निजी क्षेत्र में नहीं है। उसे सरकार बनाएगी।"
सरकार ने 'भूमि अधिग्रहण में निष्पक्ष मुआवजा एवं पारदर्शिता, पुनर्वास एवं पुनस्र्थापन अधिनियम-2013' में संशोधन का प्रस्ताव रखा है, जिसका मकसद ऐसे क्षेत्रों का विस्तार करना है, जिनमें मूल्यांकन और भूस्वामियों की 80 फीसदी अनिवार्य सहमति की जरूरत नहीं होगी।
पांच ऐसे क्षेत्र, जिनमें अनिवार्य सहमति और सामाजिक प्रभाव मूल्यांकन (एसआईए) की जरूरत नहीं होगी, वे होंगे जब भूमि का अधिग्रहण राष्ट्रीय सुरक्षा, रक्षा, ग्रामीण अवसंरचना, औद्योगिक गलियारा और गरीबों के लिए मकानों के निर्माण के लिए किया जाएगा, जिनमें भूमि का स्वामित्व सरकार के पास बना रहेगा।
किसानों के हित के लिए हालांकि मौजूदा सरकार ने 13 ऐसे कानूनों के लिए पुनस्र्थापना और मुआवजा प्रावधान का प्रस्ताव रखा है, जिनमें पुनर्वास और पुनस्र्थापना के लिए समान केंद्रीय नीति नहीं है।
ये कानून हैं कोल बियरिंग एरियाज एक्वीजिशन एंड डेवलपमेंट एक्ट-1957, राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम-1956, भूमि अधिग्रहण (खदान) अधिनियम-1885, परमाणु ऊर्जा अधिनियम-1962, भारतीय ट्रामवेज अधिनियम-1886, रेलवे अधिनियम-1989, एंसिएंट मोनुमेंट्स एंड आर्कियोलॉजिकल साइट्स एंड रीमेंस एक्ट-1958, पेट्रोलियम एंड मिनरल्स पाइपलाइंस (एक्वीजिशन ऑफ राइट्स ऑफ यूजर इन लैंड) एक्ट- 1962, दामोदर घाटी निगम अधिनियम- 1948, बिजली अधिनियम-2003, रीक्वीजिशनिंग एंड एक्वीजिशन ऑफ इम्मूवेबल प्रोपर्टी एक्ट-1952, रीसट्लमेंट ऑफ डिस्प्लेस्ड र्पसस (लैंड एक्वीजिशन) एक्ट-1948, मेट्रो रेलवेज (निर्माण कार्य) अधिनियम-1978।