नयी दिल्ली: आवास एवं शहरी विकास राज्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर दिल्ली में चल रहे सीलिंग अभियान को दिल्ली के बेहतर भविष्य की पहल बताते हुये कहा कि इसे समस्या के रूप में पेश करने वाले राजनीतिक दल ओछी सियासत कर रहे हैं। पुरी ने पीटीआई-भाषा से बातचीत में कहा कि दिल्ली को रहने लायक विश्वस्तरीय शहर बनाने और राजनीतिक संरक्षण में की गयी पिछली गलतियों को सुधारने के लिये अदालत को सीलिंग जैसा कठोर उपाय करना पड़ा।
उन्होंने कहा ‘‘अव्वल तो मैं स्पष्ट करना चाहूंगा कि यह कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हो रही है। जहां तक व्यापारियों को हो रही परेशानियों का सवाल है तो मैं बताना चाहूंगा कि मंत्रालय ने दिल्ली के मास्टर प्लान में संशोधन करते हुये समस्या का समाधान निकालने की पहल की है। सरकार व्यापारियों को राहत देने और दिल्ली को रहने लायक विश्वस्तरीय शहर बनाने की अपनी प्रतिबद्धता पर कायम है।’’
उन्होंने कहा कि लोगों को अपनी सहूलियत के मुताबिक मास्टर प्लान के नियमों का उल्लंघन कर कानून हाथ में लेने और फिर पिछली सरकारों द्वारा नियम तोड़ने वालों को दंड से माफी देने की सालों से चली आ रही परंपरा के कारण ही यह समस्या पैदा हुई है। पुरी ने स्पष्ट किया कि पिछले कुछ सालों में मास्टर प्लान का उल्लंघन कर व्यापक पैमाने पर अवैध निर्माण किया गया जिसकी वजह से यह कार्रवाई करनी पड़ी। इसकी मंशा किसी को परेशान करने की नहीं थी।
उन्होंने कहा कि सरकार के पास मास्टर प्लान की समीक्षा करने और संशोधन करने का पूरा अधिकार है, पहले भी लगभग 248 बार संशोधन हो चुका है। उन्होंने कहा ‘‘हमने हालात की विस्तार से समीक्षा कर मास्टर प्लान 2021 में माकूल संशोधन की कार्ययोजना को सीलिंग के समाधान के रूप में पेश किया है। हमें पूरा यकीन है इसके सार्थक परिणाम जल्द दिखेंगे। आखिरकार हम सबका सपना दिल्ली को रहने लायक बेहतर शहर बनाना है।’’
उन्होंने कहा कि कुछ राजनीतिक दल सस्ती लोकप्रियता पाने के लिये लोकलुभावन बातें कर लोगों को गुमराह करने की राजनीति कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर सक्षम प्राधिकारियों द्वारा गलत तरीके से किसी संपत्ति को सील किया गया है तो इसे पीड़ित पक्षकारों को सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित निगरानी समिति के समक्ष यह बात उठाना चाहिये क्योंकि सीलिंग केन्द्र सरकार द्वारा नहीं बल्कि समिति की निगरानी में स्थानीय निकायों द्वारा की जा रही है।
इस कड़ी में अगले कदम के बारे में पुरी ने बताया कि मिश्रित उपयोग वाली संपत्तियों को मास्टर प्लान के मुताबिक सीलिंग के जरिये दुरुस्त करने के बाद सरकार अनधिकृत कालोनियों की समस्या का समाधान पेश करेगी। उन्होंने कहा कि सही मायने में अगर देखा जाये तो अनधिकृत कालोनी की समस्या कोई समस्या नहीं है। क्यों कि रोजी-रोटी की तलाश में दिल्ली आने वाली अधिसंख्य आबादी को रहने के लिये कानून को ताक पर रखकर बेतरतीब तरीके से बसाया गया जिसका परिणाम अनधिकृत कालोनियों का विस्तार है।
पुरी ने कहा ‘‘पिछले चार दशकों से यह सिलसिला जारी रहने के कारण यह एक समस्या बन गयी थी। इसका भी समाधान लैंड पूलिंग के रूप में खोज लिया गया है। मेरा विश्वास है कि लैंड पूलिंग से अनधिकृत कालोनियों का बोझ काफी कम हो जायेगा।’’ इसकी कार्ययोजना के सवाल पर उन्होंने कहा कि लैंड पूलिंग के लागू होने पर सभी इलाकों को व्यवस्थित तरीके से विकसित किया जायेगा। इससे अनधिकृत कालोनियों का स्वरूप भी कानूनी तरीके से दुरुस्त किया जा सकेगा।
इन कालोनियों के नियमित होने में हो रही देरी का ठीकरा उन्होंने दिल्ली सरकार पर फोड़ते हुये कहा कि साल 2008 के बाद से एक भी अनधिकृत कालोनी को नियमित नहीं किये जाने के कारण समस्या गहरा गयी थी। उन्होंने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्देश पर कालोनियों का सीमांकन किया जाना था लेकिन दिल्ली सरकार ने पिछले साल अदालत से इस काम को पूरा करने के लिये दो साल का अतिरिक्त समय मांग लिया। साफ है कि इस विलंब के लिये दिल्ली सरकार जिम्मेदार है।
मेट्रो रेल, सीलिंग और अनधिकृत कालोनियों सहित दिल्ली से जुडे़ अन्य मुद्दों पर राज्य और केन्द्र सरकार के बीच टकराव के सवाल पर पुरी ने बताया कि उन्होंने इस समस्या के समाधान के लिये भी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ बातचीत की पहल की है। इसके लिये वह केजरीवाल से दोपहर के भोज पर आगामी सोमवार को मिल रहे हैं। पुरी ने बताया कि केजरीवाल ने मेट्रो के चौथे चरण की परियोजना सहित अन्य लंबित कार्यों पर दिल्ली सरकार की मंजूरी के अटके काम को करने का भरोसा दिलाया है।