नई दिल्ली: म्यांमार में सेना ने तख्तापलट कर एक साल के लिए आपातकाल लागू कर दिया है जिसे देखते हुए भारत सरकार ने म्यांमार में रहने वाले भारतीयों के लिए अलर्ट जारी किया है। म्यांमार स्थित भारतीय दूतावास ने भारतीयों के लिए अलर्ट जारी करते हुए कहा है कि म्यांमार में बदले राजनीतिक हालात को देखते हुए सभी भारतीयों को जरूरी सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। म्यांमार में रहने वाले भारतीयों से आग्रह है कि वो गैरजरूरी घर से बाहर नहीं निकलें और जरूरत पड़ने पर तुरंत भारतीय दूतावास से संपर्क करें। म्यांमार में सेना ने सत्ता संभालने के बाद तमाम अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों पर पाबंदी लगा दी है जिसके बाद म्यांमार के यंगून से नई दिल्ली के लिए 4 फरवरी की फ्लाइट भी कैंसिल कर दी गई है।
इससे पहले भारत ने म्यांमार में सैन्य तख्तापलट और शीर्ष नेताओं को हिरासत में लिए जाने पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा था कि देश में कानून का शासन बना रहना चाहिए और लोकतांत्रिक प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए। विदेश मंत्रालय ने म्यांमार के घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भारत म्यांमार में हालात पर निकटता से नजर रख रहा है और वह म्यांमार में लोकतांत्रिक तरीके से सत्ता के हस्तांतरण की प्रक्रिया का हमेशा समर्थक रहा है।
मंत्रालय ने म्यांमार के घटनाक्रम पर गहरी चिंता जताते हुए कहा, ‘‘भारत ने म्यांमार में लोकतांत्रिक तरीके से सत्ता के हस्तांतरण की प्रक्रिया का हमेशा समर्थन किया है।’’ उसने एक बयान में कहा, ‘‘हमारा मानना है कि कानून के शासन और लोकतांत्रिक प्रक्रिया का पालन होना चाहिए। हम हालात पर निकटता से नजर रख रहे हैं।’’
बता दें कि म्यांमार में सेना ने सोमवार को तख्तापलट किया और देश की शीर्ष नेता आंग सान सू ची को हिरासत में ले लिया। म्यामां में सेना के टेलीविजन चैनल पर कहा गया कि सेना एक वर्ष के लिए देश का नियंत्रण अपने हाथ में ले रही है। कई अन्य खबरों में कहा गया है कि सू ची समेत देश के वरिष्ठ नेताओं को हिरासत में लिया गया है। मीडिया में आयी खबरों के अनुसार सेना के स्वामित्व वाले टेलीविजन चैनल मयावाडी टीवी पर एक प्रस्तोता ने सोमवार सुबह घोषणा की कि सेना ने एक साल के लिए देश का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया है।
इसके साथ ही सेना के तैयार किए संविधान के उस हिस्से का हवाला दिया गया जो राष्ट्रीय आपातकाल की स्थिति में देश का नियंत्रण सेना को अपने हाथों लेने की इजाजत देता है। सैन्य तख्तापलट की आशंका कई दिनों से बनी हुई थी। सेना ने अनेक बार इन आशंकाओं को खारिज किया था लेकिन देश की नई संसद का सत्र सोमवार को आरंभ होने से पहले ही उसने यह कदम उठा लिया। म्यांमार में पांच दशक तक सैन्य शासन रहा और वहां हाल के वर्षों में लोकतंत्र कायम करने की दिशा में आंशिक लेकिन अहम प्रगति हुई थी। इस बीच हुए इस तख्तापलट से इस प्रक्रिया को खासा झटका लगा है।
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