नयी दिल्ली: देश भर में पेट्रोल और डीजल की कीमतें पिछले तीन साल के उच्चतम स्तर पर हैं, जिसे लेकर केंद्र की मोदी सरकार आलोचना झेल रही है। हालांकि पेट्रोल और डीजल पर भी यदि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू कर दिया जाए तो स्थितियां खासी बदल सकती हैं। मंगलवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने स्पष्ट किया कि सरकार जीएसटी के दायरे में पेट्रोलियम पदार्थों को शामिल करने की पक्षधर है, लेकिन जीएसटी परिषद में इस विषय पर सर्वानुमित बनने का इंतजार है। जेटली ने राज्यसभा में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम द्वारा जीएसटी परिषद में इस विषय को लंबित रखने के पूरक सवाल के सवाल में कहा कि जीएसटी परिषद की हर महीने होने वाली बैठकों में इस मुद्दे पर राज्यों के बीच आमराय कायम करने के प्रयास जारी हैं।
उन्होंने स्पष्ट किया कि पेट्रोलियम पदार्थों के कर दायरे में केन्द्र और राज्य सरकारों की भूमिका को देखते हुये इन्हें जीएसटी के दायरे में शामिल करने पर सर्वानुमति नहीं बन पा रही है। मई 2014 के बाद से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में कमी के बाद भी भारत में पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में इजाफे के चिदंबरम के सवाल पर जेटली ने कहा कि पेट्रोलियम पदार्थों पर केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा कर लगाया जाता है। इस दिशा में केन्द्रीय कर कम करने की कवायद की गयी है। इस बारे में राज्य सरकारों को भी अपनी भूमिका का निर्वाह करना चाहिये।
यदि GST लागू हो जाए?
मान लीजिए पेट्रोल पर 12 पर्सेंट जीएसटी लगता है तो वैट और एक्साइज ड्यूटी समाप्त हो जाएंगे और डीलर कमिशन लगाने के बाद भी राजधानी में करीब 38 रुपये प्रति लीटर में पेट्रोल की बिक्री होगी। यही नहीं पेट्रोल पर जीएसटी 18 फीसदी भी कर दिया जाए तो यह कीमत 40 रुपये के करीब ही होगी। जीएसटी के अधिकतम स्लैब 28 पर्सेंट को यदि पेट्रोल पर लागू किया जाए तब भी कीमत 44 रुपये के करीब होगी, जो मौजूदा रेट से बहुत कम होगा।
इंडियन ऑइल के मुताबिक दिल्ली में डीलर सिर्फ 30.45 रुपये प्रति लीटर में पेट्रोल खरीद रहे हैं। इसके बाद इसमें 21.48 रुपये एक्साइज ड्यूटी लगती है और 3.57 रुपये प्रति लीटर डीलर कमिशन लिया जाता है। इसके बाद 27 फीसदी की दर से इस पर वैट (14.98 रुपये) लगता है। इस तरह कुल कीमत बहुत अधिक हो जाती है। वैट राज्यों के अनुसार अलग-अलग होता है। यही वजह है कि अलग-अलग राज्यों में पेट्रोल और डीजल की कीमतें भिन्न होती हैं।