नई दिल्ली: जम्मू और कश्मीर के कायाकल्प की तैयारी हो चुकी है। ब्लूप्रिंट तैयार है अब बस उसे अंजाम तक पहुंचाने की कोशिशें तेज हो गई हैं। जम्मू और कश्मीर में रोजगार बढ़ाने और मौजूदा माहौल को और बेहतर बनाने के लिए मोदी सरकार कई तरह के प्लान पर काम कर रही है। इसी प्लान के तहत जम्मू और कश्मीर में सरकार इन्वेस्टमेंट समिट करने जा रही है।
सरकार का लक्ष्य है कि जम्मू और कश्मीर में कम से कम 1 लाख करोड़ का नया निवेश हो। सरकार की कोशिश है कि पहले चरण में कम से कम जम्मू और कश्मीर में 15 हजार करोड़ का निवेश हो। इसके लिए बकायदा 30 कंपनियों का चयन भी हो चुका है। मेकओवर के इस प्लान के तहत जहां एक तरफ जम्मू और कश्मीर में रोजगार बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है।
वहीं नई कंपनियां और निवेश लाकर जम्मू और कश्मीर में अलग-अलग सेक्टर के नए इंडस्ट्री की जाल बिछाने की कोशिश की जा रही है। इनमें आईटी एंड टेक्नॉलोजी, इन्फ्रास्टक्चर, रीन्यूबल एनर्जी, मैन्यूफैक्चरिंग, हॉस्पिटेलिटी, डिफेंस और स्किल एजुकेशन जैसे सेक्टर शामिल हैं। पहले चरण में इन सेक्टरों में निवेश के लिए कुल 44 कंपनियों ने आवेदन दिया था जिसमें से 30 कंपनियों को शॉर्टलिस्ट किया गया है।
जम्मू और कश्मीर में विकास का रोडमैप तय करने के लिए कल ही गृहमंत्री अमित शाह ने जम्मू और कश्मीर के सरपंचों से मुलाकात की थी। सरकार की सबसे बड़ी कोशिश है कि इन्वेस्टमेंट समिट का फायदा कश्मीर के आखिरी आदमी तक पहुंचे। साफ है कि सरकार हल हाल में जम्मू और कश्मीर के सूरत ए हाल में बड़ा बदलाव लाना चाहती है और उसके लिए हर स्तर पर कोशिशें जारी है। दिल्ली से लेकर श्रीनगर तक इसके लिए प्लान तैयार किया जा रहा है।