नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने जबरन वसूली, रिश्वत और यौन उत्पीड़न के आरोप में करीब एक दर्जन कर (टैक्स) अधिकारियों को अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त कर दिया है। अनिवार्य सेवानिवृत्ति की गाज करीब 12 वरिष्ठ अधिकारियों पर गिरी है जिनमें आयकर विभाग के मुख्य आयुक्त, प्रधान आयुक्त और आयुक्त रैंक के अधिकारी शामिल हैं।
इन अधिकारियों में आयकर विभाग के संयुक्त आयुक्त और प्रवर्तन निदेशालय के पूर्व उप निदेशक अशोक अग्रवाल, आयुक्त (अपील नोएडा) एस.के. श्रीवास्तव, 1985 बैच के आईआरएस अधिकारी होमी राजवंश, ए.बी.बी. राजेंद्र प्रसाद, अजय कुमार सिंह, ए. बी. अरुलप्पा रविंद्र, श्वेताभ सुमन, राम कुमार भार्गव और विवेक बत्रा शामिल हैं।
यह भ्रष्टाचार में लिप्त नौकरशाहों और अधिकारियों के खिलाफ नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार द्वारा की गई एक बड़ी कार्रवाई है।
अशोक अग्रवाल 1999 से लेकर 2014 तक निलंबित रहे। उन पर भ्रष्टाचार और दिवंगत चंद्रास्वामी की मदद करने के आरोपी व्यापरियों से जबरन वसूली करने के गंभीर आरोप हैं। अग्रवाल के पास गलत तरीके से अर्जित 12 करोड़ रुपये का धन पाया गया। उनको सीबीआई जांच का सामना करना पड़ा।
यौन उत्पीड़न के आरोपी 1989 बैच के भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी को भी कार्यकाल पूरा होने से पहले सेवानिवृत्त होना पड़ा।